CATEGORIES

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
Wednesday, December 11   11:52:32

इन 4 प्रमुख कारणों की वजह से विपक्ष ने उठाया राज्यसभा सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद राजनीतिक वातावरण में उथल-पुथल मच गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस प्रस्ताव को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और सभापति पर विपक्ष के प्रति पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप लगाया। खड़गे का कहना था कि धनखड़ सदन में एक स्कूल हेडमास्टर की तरह बर्ताव करते हैं, जहां विपक्षी नेताओं को बोलने का पूरा मौका नहीं दिया जाता, जबकि सत्तापक्ष को पूरी छूट मिलती है।

अविश्वास प्रस्ताव के चार कारण

खड़गे ने इस प्रस्ताव को लाने के चार प्रमुख कारण बताए:

  1. अनुभवी नेताओं का अपमान: खड़गे ने कहा कि राज्यसभा में ऐसे अनुभवी नेता, जो पत्रकार, लेखक, प्रोफेसर या अन्य क्षेत्रों से हैं, भी सभापति के रवैये का शिकार होते हैं। वे नेताओं को प्रवचन देते हैं, जबकि उन नेताओं का सदन में लंबे समय का अनुभव होता है।
  2. सत्तापक्ष का पक्ष लेना: खड़गे का कहना था कि विपक्ष हमेशा सभापति से निष्पक्षता की उम्मीद करता है, लेकिन जब सभापति प्रधानमंत्री और सत्तापक्ष की प्रशंसा करने में लगे होते हैं, तो विपक्ष की आवाज दब जाती है। उनका आरोप था कि जब भी विपक्ष सवाल उठाता है, तो सभापति पहले सरकार के पक्ष में खड़े हो जाते हैं।
  3. धनखड़ के बयान: खड़गे ने कहा कि धनखड़ कभी सरकार की तारीफ करते हैं, कभी खुद को RSS का एकलव्य बताते हैं, जो कि उनके पद की गरिमा के विपरीत है।
  4. संसद की गरिमा: खड़गे ने यह भी कहा कि जब कभी विपक्ष के नेता सवाल पूछते हैं, तो उन सवालों के जवाब देने के बजाय सभापति खुद सरकार की ओर से बचाव की भूमिका निभाते हैं, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

अन्य विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रियाएं

राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर केवल कांग्रेस ही नहीं, बल्कि TMC, सपा, राजद, शिवसेना और DMK के नेताओं ने भी अपना विरोध जताया। TMC के नेता नदीम उल हक ने कहा कि उनके साथ कभी भी निष्पक्ष व्यवहार नहीं किया जाता, जबकि सत्तापक्ष को पूरी तरह से बोलने का मौका मिलता है। सपा के जावेद अली खान ने भी कहा कि जब विपक्षी नेता बोलते हैं, तो सभापति उन्हें रिकॉर्ड पर नहीं आने देते। राजद नेता मनोज झा ने भी कहा कि सत्तापक्ष के नेताओं की भाषा को लेकर उन्हें खेद है।

राज्यसभा का सभापति उस सदन का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पद है, और इस पद से अपेक्षाएं भी बहुत अधिक होती हैं। जब सदन का अध्यक्ष खुद राजनीतिक रूप से पक्षपाती प्रतीत होता है, तो यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। विपक्षी नेताओं का यह आरोप कि सभापति का रवैया सत्तापक्ष के पक्ष में रहता है,और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक मजबूत और निष्पक्ष लोकतंत्र में, राज्यसभा जैसे संस्थान को पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से काम करना चाहिए।

विपक्ष के आरोपों के बावजूद, यह ध्यान देने योग्य बात है कि इस पूरे मामले में सत्ता पक्ष का भी नजरिया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अविश्वास प्रस्ताव को एक मुद्दे को भटकाने की कोशिश बताया। उनका कहना है कि यह अविश्वास प्रस्ताव सरकार के खिलाफ उठाए गए वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए किया गया है।

राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना एक गंभीर कदम है और यह दर्शाता है कि संस्थाओं में निष्पक्षता की कमी महसूस की जा रही है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या हमारे संस्थान अपनी स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रख पा रहे हैं या नहीं। अगर हमें अपने लोकतंत्र को मजबूत और स्वस्थ बनाना है, तो हमें इन मुद्दों पर ध्यान देना होगा और संस्थाओं की स्वतंत्रता का सम्मान करना होगा