दुनिया की राजनीति और व्यापार की दुनिया में एक बार फिर भूचाल आ गया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसने चीन की नींव हिला दी है – 104% का टैरिफ! यानी चीन से आने वाले कुछ खास उत्पादों पर अब अमेरिका में इतना ज्यादा टैक्स लगेगा कि उनके दाम आसमान छूने लगेंगे।
लेकिन बात यहीं नहीं रुकी…
ट्रंप के इस फैसले के बाद अचानक ही भारत का नाम गूंजने लगा। क्यों? क्योंकि चीन के विकल्प के तौर पर अमेरिका की नजर अब भारत पर जा टिकी है। वहीं भारत भी अपने पुराने दोस्त की तरह तैयार खड़ा है – पर इस बार शर्तों के साथ।
चीन को क्यों लगा बड़ा झटका?
चीन वर्षों से अमेरिका को सस्ता इलेक्ट्रॉनिक सामान, स्टील, टेक्सटाइल और अन्य प्रोडक्ट्स सप्लाई करता रहा है। ट्रंप के इस टैरिफ बम के बाद ये प्रोडक्ट्स अब महंगे हो जाएंगे, जिससे अमेरिका में इनकी मांग कम हो सकती है। यही कारण है कि चीन हक्का-बक्का रह गया और अमेरिका से बातचीत की गुहार लगाने लगा।
भारत क्यों आया चर्चा में? भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्था बन चुका है। यहां की श्रमशक्ति, तकनीकी दक्षता और लोकतांत्रिक व्यवस्था अब अमेरिका को लुभा रही है। अमेरिकी कंपनियां अब चीन छोड़कर भारत में निवेश करने की सोच रही हैं। यही कारण है कि ट्रंप के बयान के बाद भारत को ‘दोस्ती की पुकार’ सुनाई दी।
क्या बोले ट्रंप?
ट्रंप ने बयान दिया, “हम चीन पर निर्भर नहीं रह सकते। अब समय आ गया है कि हम अपने सच्चे सहयोगियों की ओर लौटें।” उनके इस बयान को भारत के लिए एक सीधा संकेत माना जा रहा है।
भारत के लिए क्या मौका है?
अगर भारत इस मौके का फायदा उठाए तो ये मेक इन इंडिया अभियान के लिए सुनहरा अवसर बन सकता है। अमेरिका से व्यापारिक संबंध मजबूत होंगे, निवेश आएगा, और रोजगार के नए दरवाजे खुल सकते है
डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ वाला डंडा भले ही चीन के लिए चेतावनी हो, लेकिन भारत के लिए यह एक सुनहरा मौका बनकर उभरा है। अब देखना ये है कि भारत इस दोस्ती की पुकार पर कैसे जवाब देता है – क्या ये नई साझेदारी इतिहास रचेगी?

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