बरेली: बॉलीवुड अभिनेत्री दिशा पटानी के पिता और रिटायर्ड डिप्टी एसपी जगदीश सिंह पटानी के साथ नौकरी दिलवाने के नाम पर 25 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। शुक्रवार को बरेली के कोतवाली पुलिस स्टेशन में पांच आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। ठगों ने पटानी से कथित तौर पर उच्च सरकारी पद दिलाने का वादा कर लाखों रुपये की धोखाधड़ी की, लेकिन जब तीन महीने तक कोई नतीजा नहीं निकला, तो आरोपी ने पैसे वापस करने के बजाय उन्हें धमकाना शुरू कर दिया।
ठगी का साजिश: नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी
दिशा पटानी के पिता जगदीश सिंह पटानी ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में बताया कि उन्हें एक व्यक्ति, शिवेंद्र प्रताप सिंह, जिन्होंने उन्हें व्यक्तिगत रूप से पहचाना, ने अपने दो साथी दिवाकर गर्ग और आचार्य जयप्रकाश से मिलवाया। आरोपियों ने खुद को उच्च राजनीतिक संबंधों का दावा करते हुए पटानी से कहा कि वे उन्हें एक सरकारी आयोग में महत्वपूर्ण पद दिलवा सकते हैं, जैसे कि अध्यक्ष या उपाध्यक्ष।
पटानी ने उन पर विश्वास करते हुए आरोपियों को 25 लाख रुपये दिए—जिसमें 5 लाख रुपये नकद और 20 लाख रुपये तीन अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए। हालांकि, तीन महीने बाद जब कोई भी परिणाम नहीं आया, तो पटानी ने अपने पैसे वापस मांगने शुरू किए। इसके जवाब में आरोपियों ने न केवल पैसे लौटाने से इंकार किया, बल्कि उन्हें धमकाना और डराना भी शुरू कर दिया।
राजनीतिक संबंधों का झूठा दावा
जगदीश पटानी ने बताया कि आरोपियों ने अपनी राजनीतिक ताकत को साबित करने के लिए एक शख्स हिमांशु को अधिकारी बताकर उनका विश्वास और बढ़ाया। लेकिन जब इस धोखाधड़ी का संदेह गहरा हुआ, तो पटानी ने मामले की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई। इसके बाद बरेली कोतवाली पुलिस ने पांच आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक धमकी और जबरन वसूली का मामला दर्ज किया है।
पुलिस के अनुसार, आरोपी शिवेंद्र प्रताप सिंह, दिवाकर गर्ग, आचार्य जयप्रकाश, प्रीति गर्ग और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ जांच की जा रही है। कोतवाली पुलिस स्टेशन के प्रभारी, डीके शर्मा ने कहा कि आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार करने के लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
एक और धोखाधड़ी का खुलासा
इस घटना से एक बात साफ होती है कि आजकल ऐसे ठग अपने झूठे दावों और झांसे से किसी का भी विश्वास जीत सकते हैं। राजनीति, सरकारी पदों और रिश्तों का हवाला देकर ये लोग न केवल पैसे ऐंठते हैं, बल्कि लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से भी परेशान करते हैं।
यह घटना यह दिखाती है कि समाज में ऐसे कई लोग हैं, जो दूसरों की मेहनत और भरोसे का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। विशेषकर जब बात किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति या परिवार की होती है, तो ठगों का मानना होता है कि उन्हें आसानी से धोखा दिया जा सकता है। इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि भले ही आरोपियों ने राजनीतिक और सरकारी पदों के झूठे दावे किए हों, लेकिन सही समय पर शिकायत और पुलिस की त्वरित कार्रवाई से ठगी का पर्दाफाश हुआ।
यहां एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इस घटना ने यह भी उजागर किया कि जब लोग सरकारी कार्यों या नियुक्तियों के बारे में किसी से मार्गदर्शन लेते हैं, तो उन्हें सतर्क रहना चाहिए और किसी के झांसे में न आना चाहिए। ठगों के हाथ में किसी का भी पैसा और आत्मविश्वास आसानी से फंस सकता है, अगर हम सजग न रहें।इस प्रकार के धोखाधड़ी के मामलों में पुलिस की कार्रवाई और लोगों की जागरूकता महत्वपूर्ण होती है। अगर किसी को लगता है कि उन्हें धोखा दिया जा रहा है, तो तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और प्रशासन से मदद लेनी चाहिए।
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