अभी कुछ ही हप्तों पहले अहमदाबाद ने संगीत के एक अनोखे जादू का अनुभव किया जब दिलजीत दोसांझ ने अपने शो “दिललुमिनाति” के तहत एक अद्भुत परफॉर्मेंस दी। इस मौके पर, हवाई अड्डे से लेकर एस.जी. हाईवे तक, भारी ट्रैफिक देखा गया, जिसमें बड़ी संख्या में जोशिले प्रशंसक शामिल थे। दिलजीत के प्रति इस उत्साह का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके शो ने अहमदाबाद की सड़कें भी थमा दीं।
शो के दौरान दिलजीत ने अपने अंदाज में ऐलान किया कि गुजरात एक “ड्राई स्टेट” है, और इसलिए वे यहां शराब से जुड़े गाने नहीं गाएंगे। उन्होंने अपील करते हुए कहा, “सोशल मीडिया पर भले ही लोग मुझे ट्रोल करें, लेकिन मेरे प्रशंसकों की भावनाओं का सम्मान करें।”
दिललुमिनाति: हृदय की रोशनी
“दिललुमिनाति” का अर्थ है “हृदय की रोशनी”, और इसी थीम के साथ दिलजीत भारत भर में अपने दिल छू लेने वाले परफॉर्मेंस दे रहे हैं। उनका यह दौरा दर्शकों के दिलों में उनके सहज और आत्मीय व्यक्तित्व को और गहराई से बसाने में सफल हो रहा है। उनकी सफलता उनके सहज स्वभाव और अद्वितीय शैली का प्रमाण है। दिलजीत खुद मानते हैं कि वे न तो किसी और जैसे बनना चाहते हैं, और न ही दूसरों की तरह गाने का प्रयास करते हैं।
वह कहते हैं, “मैं सोनू जैसा आला दर्जा का गायक नहीं हूं। मेरी अपनी एक शैली है जिसे मैं लोगों के सामने पेश करता हूं। अगर लोग इसे पसंद करते हैं, तो यह मेरे लिए ऑस्कर जीतने जैसा है।”
दर्शकों से जुड़ने का उनका अंदाज
दिलजीत की खास बात यह है कि वह अपनी भाषा, पंजाबी, को लेकर हमेशा गर्व महसूस करते हैं। भले ही वे अंग्रेजी ठीक से नहीं बोल पाते, लेकिन उनकी ई मानदारी और दिल से गाने की कला सबको प्रभावित करती है। उनका मानना है कि भाषा की सीमाएं मायने नहीं रखतीं, बल्कि भावनाएं और सच्चाई ही सबसे बड़ी जुड़ाव का माध्यम होती हैं।
उनका सफर हर उस छोटे शहर और गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा है जो बड़े सपने देखते हैं। दिलजीत कहते हैं, “जब मैंने करियर शुरू किया, मेरे साथ कोई नहीं था। मैंने शून्य से शुरुआत की, लेकिन कड़ी मेहनत के दम पर यहां तक पहुंचा। अब मेरे गांव और छोटे शहरों के बच्चे कहते हैं कि वे भी दिलजीत दोसांझ जैसा बनना चाहते हैं। यही मेरी सबसे बड़ी सफलता है।”
पैसा पीछे नहीं, दिल से काम
दिलजीत की मेहनत का असली फल 2020 के बाद मिलने लगा। वह कहते हैं कि कोरोना काल ने उन्हें सिखाया कि पैसा कमाना ही सब कुछ नहीं है। उन्होंने अपने लिए एक सीमित काम का रूटीन बनाया है।“मैंने समझ लिया कि एक जिंदगी है, और अब मैं सिर्फ उतना काम करता हूं जितना मुझे खुशी देता है। पैसे के पीछे भागना बंद कर दिया है।”
दिलजीत दोसांझ न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक मंच पर भी पंजाबी संगीत का परचम लहरा रहे हैं। उनकी सादगी, ईमानदारी और कला का जादू विदेशों में भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। वह कहते हैं, “भारत के बाहर लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं सिर्फ पंजाबी क्यों बोलता हूं। मेरा जवाब होता है कि पंजाब भारत का हिस्सा है, और मैं भारत का प्रतिनिधित्व करता हूं। मेरी कला मेरी पहचान है।”
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