05 Mar Vadodara : पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव पर इस बार देश भर की नजर है,क्योंकि पश्चिम बंगाल को कई सालों से तृणमूल कांग्रेस यानी कि दीदी के रूप से जानी जाती ममता बनर्जी का गढ़ माना जाता है, लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी ने इस गढ़ में सेंध लगाने की पूरी तैयारियां कर ली है।चुनाव के मद्देनजर बंगाल में बड़े नेताओं के दौरे लगातार जारी हैं। इस लिहाज से 7 मार्च एक बड़ी तारीख होगी,क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता के ऐतिहासिक परेड ग्राउंड में बड़ी रैली करने वाले हैं। इस रैली में BCCI प्रेसीडेंट सौरव गांगुली का भाजपा में शामिल होना करीब-करीब तय माना जा रहा है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस दिन सौरव के साथ-साथ मिथुन चक्रवर्ती, प्रोसेनजीत समेत बंगाल की कई नामी हस्तियां भाजपा में शामिल होंगी। वैसे यह सारा खेल बना बनाया ही है। भारत के प्रसिद्ध क्रिकेटर और भारतीय टीम के कैप्टन रहे सौरव गांगुली को भाजपा में लाने की पटकथा दिसंबर 2019 में ही लिखी जा चुकी थी। तब के पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने PM मोदी की सहमति के बाद इसकी तैयारी शुरू कर दी थी।
अमित शाह ने सबसे पहले सौरव गांगुली को बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन से निकालकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी BCCI का प्रेसिडेंट बनाया। शाह के बेटे जय शाह तब BCCI के सचिव चुने गए। इसके बाद जय ने इस मुहिम को आगे बढ़ाया। हाल ही में गांगुली बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से भी मिले थे। इससे पहले वे प्रधानमंत्री से भी मिल चुके थे।वैसे तो मीडिया में उनके भाजपा ज्वाइन करने की चर्चा कई दिनों से चल रही है, लेकिन भाजपा और खुद गांगुली ने इस पर चुप्पी साध रखी है। लेकिन इस बार पश्चिम बंगाल में दादा की लोकप्रियता को भुनाने की पूरी कोशिश भारतीय जनता पार्टी कर सकती है।
भाजपा ने चुनाव के बाद सरकार और संगठन के समीकरण पर भी तैयारी कर ली है। इसके तहत अगर राज्य में भाजपा की सरकार बनती है तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का मुख्यमंत्री बनना तय है। घोष बंगाल से हैं और TMC के खिलाफ हमेशा अपने बयानों से जाने जाते रहे हैं।
उत्तर प्रदेश फॉर्मूले के तहत राज्य के बड़े चेहरों को साधने के लिए नई सरकार में पार्टी दो डिप्टी CM भी रखेगी। UP में जब भाजपा की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम में दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी CM बनाया गया। इसी फॉर्मूले को बंगाल में भी अपनाते हुए पार्टी TMC से बगावत कर BJP में आए शुभेंदु अधिकारी और सौरव गांगुली को इसकी जिम्मेदारी दी जा सकती है। सब कुछ ठीक रहा तो गांगुली को किसी सुरक्षित सीट से विधानसभा भी भेजा जाएगा।
असम की राजनीति के बड़े चेहरे हेमंत बिश्व सरमा जब कांग्रेस से भाजपा में आए तो उन्हें सरकार में नंबर दो की पॉजिशन मिली। वे पार्टी के संकटमोचक माने जाते हैं। शुभेंदु को भी इसी तर्ज पर बंगाल में पार्टी जिम्मेदारी सौंप सकती है। बंगाल में शुभेंदु के राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में भी पार्टी हाईकमान ने बुलाया है। ऐसे में समझा जा सकता है कि आने वाले समय में पार्टी में शुभेंदु का कद और बढ़ेगा।
इन सबके साथ ही पार्टी ने अन्य बड़े चेहरों को भी साधने की तैयारी कर ली है। CM और डिप्टी CM के तीन चेहरों के बाद एक प्रमुख चेहरा मुकुल रॉय का भी है। 66 साल के मुकुल रॉय कभी TMC में ममता बनर्जी के खास थे और पार्टी में उनकी नंबर दो की हैसियत थी। 2017 में ममता का साथ छोड़ भाजपा में आ गए। बंगाल में अगर भाजपा के लिए सब ठीक रहा तो मुकुल राॅय को केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। वे मनमोहन सरकार में शिपिंग और रेल मंत्रालय संभाल चुके हैं। रॉय अभी पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं।
वहीं, दिलीप घोष अगर CM बन जाते हैं तो उनकी जगह पार्टी में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए कई दावेदार हैं। इनमें राहुल सिन्हा और ज्योर्तिमय महतो का नाम सबसे आगे हो सकता है। राहुल सिन्हा पहले भी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। ऐसे में उनकी दावेदारी मजबूत दिखती है। वहीं, ज्योर्तिमय महतो पुरुलिया से सांसद हैं। वे युवा हैं, साथ ही संगठन में उनकी अच्छी पकड़ भी है।
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