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धार भोजशाला विवाद: 98 दिन के सर्वे के बाद ASI ने हाईकोर्ट में सौंपी रिपोर्ट, पेश किए गए ये दावे

इंदौर, मध्य प्रदेश – धार जिले में स्थित ऐतिहासिक भोजशाला परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा 98 दिनों तक चले सर्वे की रिपोर्ट सोमवार को इंदौर हाईकोर्ट की खंडपीठ में पेश की जाएगी। 13वीं शताब्दी की इस ऐतिहासिक साइट पर वैज्ञानिक सर्वेक्षण के दौरान 37 देवी-देवताओं की मूर्तियां और 1,700 से अधिक पुरावशेष मिले हैं।

सर्वेक्षण की प्रमुख बातें

सर्वे की अवधि: 22 मार्च से 27 जून तक 98 दिनों का यह सर्वे एएसआई ने उच्च न्यायालय के आदेश पर किया।
खुदाई और खोज: खुदाई के दौरान एएसआई को 37 देवी-देवताओं की मूर्तियां मिलीं, जिसमें श्रीकृष्ण, शिव, जटाधारी भोलेनाथ, ब्रह्मा आदि शामिल हैं।
फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी: सर्वे के दौरान मिली सभी महत्वपूर्ण वस्तुओं की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की गई है।
विवाद: हिंदू और मुस्लिम समुदाय दोनों ही इस स्थल पर अपने-अपने दावे करते हैं। हिंदू पक्ष इसे वाग्देवी (सरस्वती) को समर्पित मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद का स्थान मानता है।
जैन समाज का दावा: जैन समाज ने भी इस स्थल को जैन धार्मिक स्थल होने का दावा किया है। उनकी याचिका पर भी कोर्ट में सुनवाई होनी है।
आगे की सुनवाई: इस मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी।

एएसआई की तैयारियां

एएसआई ने 4 जुलाई को ही अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी, लेकिन समय की कमी के चलते कोर्ट से 10 दिन का अतिरिक्त समय मांगा गया। अब यह रिपोर्ट 15 जुलाई को पेश की जाएगी।

रिपोर्ट का महत्व

सर्वे की रिपोर्ट का महत्व इस वजह से भी बढ़ जाता है क्योंकि यह सच जानने का एक माध्यम है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही हाईकोर्ट मामले की सुनवाई करेगा और भविष्य में इस ऐतिहासिक स्थल का क्या होगा, इसका निर्णय करेगा।

धार भोजशाला का यह सर्वे ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। एएसआई की इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो सकेगा कि इस स्थल का इतिहास क्या है और इस पर किसका अधिकार बनता है। सभी की निगाहें अब इस रिपोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।

भोजशाला परिसर में एएसआई के इस महत्वपूर्ण कार्य के निष्कर्ष आने वाले समय में ऐतिहासिक तथ्यों को स्पष्ट कर सकते हैं और धार्मिक विवादों का समाधान भी प्रदान कर सकते हैं।