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दिल्ली शराब घोटाला: 177 दिन बाद जेल से बाहर अरविंद केजरीवाल, सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत

Delhi Liquor Scam: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने 177 दिन बाद उन्हें जमानत दे दी है। यह फैसला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सुनाया। इससे पहले, दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार केजरीवाल की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बाद में, सुनवाई के दौरान सीबीआई और केजरीवाल के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश की थीं।

केजरीवाल ने जेल में बिताए 156 दिन

ईडी ने 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। 190 दिनों की पूछताछ के बाद 1 अप्रैल को उन्हें तिहाड़ जेल भेजा गया था। 10 मई को उन्हें 21 दिनों के लिए चुनाव प्रचार के लिए अस्थायी रूप से रिहा किया गया था। 51 दिन जेल में रहने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 1 जून तक रिहाई की अनुमति दी थी, जिसके बाद 2 जून को उन्होंने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था। 13 सितंबर को उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली, जिससे उनका कुल जेल में बिताया समय 177 दिन हो गया। अगर रिहाई के 21 दिनों को छोड़ दिया जाए, तो उन्होंने कुल 156 दिन जेल में बिताए।

मनीष सिसोदिया को भी मिली थी राहत

आपको बता दें कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी। 17 महीने बाद सिसोदिया जेल से रिहा हुए थे। शराब नीति घोटाला मामले में सुनवाई में देरी के कारण उन्हें जमानत मिली थी।

हरियाणा चुनाव पर असर?

हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं, और आम आदमी पार्टी वहां सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं हो पाया है। अगर केजरीवाल को जमानत मिलती है, तो वह हरियाणा में चुनाव प्रचार कर सकते हैं, जिससे आम आदमी पार्टी को फायदा हो सकता है। एक राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार, केजरीवाल की जमानत से बीजेपी को बहुत नुकसान नहीं होगा, जबकि कांग्रेस को नुकसान हो सकता है क्योंकि बीजेपी विरोधी वोट कांग्रेस और आप के बीच बंट सकते हैं।

केजरीवाल के वकील की दलीलें

सुनवाई के दौरान, केजरीवाल के वकील सिंधवी ने दलील दी कि एफआईआर दर्ज होने के बाद दो साल तक सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया था, लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी रिहाई को रोकने के लिए ‘बीमा गिरफ्तारी’ की गई। असहयोग और गोलमोल जवाब देने के कारण सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं जो बताते हैं कि जांच में सहयोग का मतलब यह नहीं है कि आरोपी को खुद को दोषी साबित करना होगा।

सिंधवी ने यह भी कहा कि केजरीवाल, एक संवैधानिक पदाधिकारी होने के नाते, जमानत के लिए ट्रिपल टेस्ट को पूरा कर चुके हैं। उनके फरार होने का कोई खतरा नहीं है, और वह जांच एजेंसियों के सवालों का सामना करेंगे। उनके खिलाफ लाखों पन्नों के दस्तावेज़ और डिजिटल सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोई संभावना नहीं है।