दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे 8 फरवरी को सामने आने वाले हैं। पूरे देश की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि दिल्ली की जनता इस बार किसके पक्ष में अपना फैसला सुनाएगी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दोनों ही इस चुनाव में अपने-अपने दलों का नेतृत्व कर रहे हैं। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह जानना दिलचस्प होगा कि ग्रह-नक्षत्र किसके पक्ष में हैं। आइए, ज्योतिषीय गणना के आधार पर दोनों नेताओं की कुंडलियों का विश्लेषण करते हैं।
अरविंद केजरीवाल की कुंडली
अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को दिल्ली में हुआ। इनकी कुंडली वृषभ लग्न की है। वर्तमान में इनकी कुंडली में बृहस्पति महादशा में राहु की अंतर्दशा चल रही है। राहु बृहस्पति से अष्टम स्थान पर है, जो ज्योतिष में अशुभ मानी जाती है। यह समय मानसिक दबाव और संघर्षपूर्ण परिस्थितियों का संकेत देता है।
मार्च 2025 से इनकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती आरंभ होने वाली है, जो उनके लिए और भी कठिन समय ला सकती है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह समय केजरीवाल के लिए चुनौतियों से भरा रहेगा। भले ही इस चुनाव में उन्हें जीत हासिल हो, लेकिन यह जीत सीमित और दबावपूर्ण मानी जाएगी।
नरेंद्र मोदी की कुंडली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को मेहसाणा, गुजरात में हुआ। इनकी कुंडली वृश्चिक लग्न की है। वर्तमान में इनकी कुंडली में मंगल की महादशा और शनि की अंतर्दशा चल रही है। दोनों ग्रह केंद्र में स्थित हैं और राजयोग का निर्माण कर रहे हैं।
मोदी की कुंडली में महालक्ष्मी राजयोग बना हुआ है, जो सफलता और स्थिरता का प्रतीक है। शनि का ढैया समाप्ति की ओर है, जिससे उनके संघर्षों में कमी आने की संभावना है। कुंडली में धन और सत्ता के कारक ग्रह मजबूत स्थिति में हैं, जो उनकी जीत की संभावना को और प्रबल बनाते हैं।
ज्योतिषीय निष्कर्ष
दोनों कुंडलियों की तुलना करने पर नरेंद्र मोदी की कुंडली ज्यादा मजबूत प्रतीत होती है। उनकी कुंडली में सत्ता और सफलता के योग स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं, जबकि अरविंद केजरीवाल की कुंडली में वर्तमान ग्रह दशा उनके लिए अनुकूल नहीं है।
राजनीति में ज्योतिष केवल संभावनाओं को दर्शाता है। असल परिणाम जनता के निर्णय और जमीनी हकीकत पर निर्भर करते हैं। फिर भी, ज्योतिषीय दृष्टिकोण से नरेंद्र मोदी की जीत की संभावना अधिक दिखाई देती है। लेकिन लोकतंत्र में अंतिम फैसला जनता के हाथों में होता है, और कल सुबह चुनावी परिणाम साफ हो जाएंगे।
अब देखना होगा कि दिल्ली की गद्दी पर किसका कब्जा होता है—आम आदमी पार्टी या भारतीय जनता पार्टी। जनता का फैसला लोकतंत्र का सबसे बड़ा सच है, और इसके सामने किसी भी कुंडली की गणना फीकी पड़ सकती है।
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