CATEGORIES

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
Friday, January 31   3:03:40

क्या आप जानते हैं टैगोर ने लिखा था 3 देशों का राष्ट्रगान!!

पूरा देख आज राष्ट्रगान के रचयिता और नॉबल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय रविंद्रनाथ टैगोर की 83वीं पुण्यतिथि मना रहा है। सात अगस्त यानी आज ही के दिन साल 1941 में रविंद्रनाथ टैगोर ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। टैगोर की पुण्य तिथि के अवसर पर हम आपकों उनके बारे में कुछ खास बाते बताऐंगे।

टैगोर का जन्म

रविंद्रनाथ टैगोर ऐसी शख्सियत हैं जिनका नाम शायद देश का हर बच्चा जानता है। राष्ट्रगान, जन-गन-मन अधिनायक के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर की आज पुण्यतिथि हैं। रवींद्रनाथ का जन्म सात मई 1861 को कोलकाता में हुआ था। उनके बचपन का नाम रबी था। वे उनके 13 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे।

आठ साल में लिखी पहली कविता

रविंद्रनाथ टैगोर को बचपन से ही साहित्य में काफी रूची थी। महज आठ साल की उम्र से ही उन्होंने कविता लिखना शुरू कर दिया था। केवल 16 साल की उम्र में ही उनकी पहली कविता संग्रह भानु सिहं जारी किया गया।

कई कलाओं में निपूर्ण

आगे चल कर टैगोर देश के एक महान कवि, उपन्यासकार, नाटकार, चित्रकार और निबंधकार बने। टैगोर ने कविता, साहित्य दर्शन, नाटक, संगीत और चित्रकार समेत कई विधाओं में परचम लहराया है। उन्होंने अपने जीवन में दो हजार से ज्यादा गीत लिखे।

तीन देशों के राष्ट्रगान के रचयिता

रविंद्रनाथ टैगोर ने भारत का ही नहीं बल्कि और भी देशों के राष्ट्रगान लिखे थे। इनमें भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका शामिल है। केवल टैगोर ही ऐसे कवि हैं जिनकी ओर से लिखे गए राष्ट्रगान को इतना ज्यादा पसंद किया गया कि वहां के देशों ने इसे अपना राष्ट्रगा बना लिया। भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ टैगोर ने लिखी हैं। वहीं बात श्रीलंका की करें तो वहां के राष्ट्रगान का एक हिस्सा भी टैगोर की कविता से लिया गया है।

लंदन से क्यों वापस भारत लौटे टैगोर

टैगोर की पढ़ाई इंग्लैंड के ब्रिजस्टोन पब्लिक स्कूल से हुई थी। वे एक बैरिस्टर बनना चाहते थे। इस वजह से वे स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद कानून की पढ़ाई करने लंदन कॉलेज यूनिवर्सिटी चले गए। लेकिन, वहां उनका लॉ में मन नहीं लगा जिसके बाद वे 1880 में पढ़ाई छोड़कर भारत लौट आए।

टैगोर को मिली नाइड हुड की उपाधि

टैगोर भारत की पहली ऐसी शख्सियत थे जिन्हें साहित्य के लिए 1913 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार उन्हें उनकी गीतांजलि रचना के लिए मिला था। उन्होंने यह पुरस्कार खुद नहीं लिया बल्कि उनके बदले ब्रिटेन के एक राजदून ने यह पुरस्कार लिया था। इतना ही नहीं ब्रिटिश सरकार ने टैगोर को नाइट हुड यानी सर की उपाधि से भी नवाजा था।