वडोदरा शहर के कई खिलाड़ियों ने भारतीय क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए शहर का नाम राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है उसमें सबसे पहला नाम आता है, दत्ताजीराव गायकवाड का जिनका आज 95वें साल की उम्र में दुखद निधन हुआ है।
दत्ताजीराव कृष्णराव गायकवाड..
27 अक्टूबर 1928 को वडोदरा में जन्मे दत्ताजी गायकवाड विश्व के सबसे ज्यादा उम्र वाले टेस्ट क्रिकेटर की फेहरिस्त में शामिल रहे,जिनका आज 95वें साल की उम्र में दुखद निधन हुआ है।
बॉम्बे यूनिवर्सिटी और महाराजा सयाजीराव गायकवाड यूनिवर्सिटी बड़ौदा के लिए क्रिकेट खेलने से दत्ताजी के क्रिकेट करियर की शुरुआत हुई। उन्होंने अपना पहला टेस्ट डेब्यु 1952 में इंग्लैंड के खिलाफ लीड्स के मैदान पर किया। 1952 – 53 में दत्ताजी राव गायकवाड़ पाकिस्तान के खिलाफ भी खेले। सन 1957- 58 में दत्ताजी रणजी ट्रॉफी में बरोड़ा के कप्तान भी रहे। दत्ताजी राव ने 11 टेस्ट मैच खेले और 1959 में भारतीय टीम की कप्तानी भी की। स्पिन बॉलर और बैट्समैन रहे दत्ताजी राव गायकवाड़ ने 11 टेस्ट में 350 रन बनाए। अपना आखिरी मैच उन्होंने चेन्नई में पाकिस्तान के खिलाफ 1961 में खेला।
फर्स्ट लेवल की 110 मैच में दत्ताज़ी राव गायकवाड़ ने 17 सेंचुरी और 23 हाफ सेंचुरी के साथ 5788 रन बनाए और 25 विकेट भी लिए। 2016 में दीपक शोधन के निधन के बाद से दत्ताजी गायकवाड भारत के ओल्डेस्ट लिविंग टेस्ट क्रिकेटर थे, पिछले साल ही उन्होंने अपना 95वां जन्मदिन VNM TV के साथ मनाया था। उनका बेटा अंशुमन गायकवाड भी भारतीय क्रिकेट जगत का एक बड़ा नाम है।अंशुमन गायकवाड़ ने भी भारत के नाम कई उपलब्धियां की है।
कुछ दिनों पहले बरोड़ा क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा रावपुरा पोस्ट ऑफिस में दत्ताजी राव गायकवाड़ के योगदान को हमेशा के लिए यादगार बनाने के लिए स्पेशल कवर रिलीज का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था।
डी के गायकवाड ने वड़ोदरा में क्रिकेट के युग की शुरुआत की, उनके योगदान का सम्मान करते हुए VNM TV की ओर से उन्हें वड़ोदरा के प्रसिद्ध खेल पत्रकार स्वर्गीय एडी व्यास की स्मृति में दिए गए एडी व्यास लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
ऐसी कई उपलब्धियां अपने नाम करने वाले दत्ताजीराव गायकवाड अब नहीं रहे, लेकिन क्रिकेट के पन्नों में उनका नाम सुनहरे अक्षरों में हमेशा के लिए अंकित हो गया है। आज उनके अंतिम संस्कार के मौके पर वड़ोदरा के अग्रणी क्रिकेटर नयन मोंगिया,किरण मोंगिया समेत के वड़ोदरा के कई अग्रणी पहुंचे और दत्ताजी राव को आखिरी फेरवेल दिया।
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