एक ऐसा शायर जो अपनी किस्मत आजमाने पत्नी और बच्चों को छोड़कर भोपाल से मुंबई आया, लेकिन शुरुआती दौर में सफ़लता मीलों दूर थी। पर उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा। अनेक दर्द तकलीफों को झेलकर भी न हारने वाले शायर थे, जावेद अख्तर के पिता जां निसार अख़्तर।
आज मोबाइल जैसे हथेली समाते साधन के कारण दुनिया तो मुठ्ठी में है ,पर अपनों दूरियां बढ़ गई है, लेकिन वह वो दौर था, जब चिट्ठियों के जरिए लोग नज़दीक थे। डाकिए का बेसब्री से इंतजार होता था।ये चिट्ठियां संबल होती थी।
मैं तुझे चाहता नहीं लेकिन
फिर भी जब पास तू नहीं होती
खुद को कितना उदास पाता हूं
गुम से अपने हवास पाता हूं
जाने क्या धुन समाई रहती है
एक खामोशी सी छाई रहती है
दिल से भी गुफ्तगू नहीं होती
मैं तुझे चाहता नहीं लेकिन….
अशआर मिरे यूं तो जमाने के लिए है,
कुछ शेर फ़कत उनको सुनाने के लिए है,
अब यह भी नहीं ठीक की दर्द मिटा दे,
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं…
पत्नी साफिया की दूरी के दर्द को शेरो में पिरोकर जा निसार अख्तर चिट्ठियों के जरिए भेजते थे।स्कूल में नौकरी करती पत्नी घर भी चलाती,और उन्हें भी पैसे भेजती।एक ओर पति का विरह और दूसरे कैंसर ने साफिया की जान ले ली।इससे जां निसार हुसैन अख्तर टूट गए। साफिया अख्तर के खत उर्दू में “हर्फ ए आश्रा” और “जेर ए लब” और हिन्दी में ” तुम्हारे नाम” पुस्तक के रूप में मौजूद है।भारत के प्रसिद्ध गीतकार जा निसार हुसैन अख्तर की पीढियां आज बॉलीवुड पर राज कर रही हैं।
जां निसार अख्तर ने दो शादियां की थी। भारत के प्रसिद्ध महत्वपूर्ण कवियों में जां निसार अख्तर का नाम आता है ।मूल ग्वालियर के जां निसार अख्तर का परिवार आज़ादी के बाद शुरू हुए दंगों के चलते भोपाल आया। वे पत्नी के निधन से हिम्मत नही हारे ।काम भी मिलने लगा।बहू बेगम फिल्म उन्होंने लिखी।साफिया के निधन के बाद उन्होंने खादीजा तलत से की। साफीया से उनके दो पुत्र हुए सलमान अख्तर और जावेद अख्तर ।
जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी 1945 को हुआ।उनका जीवन भी संघर्षमय रहा।माता के निधन के बाद उनकी परवरिश रिश्तेदारों के घर हुई। मां को लेकर वे लिखते है….
मुझको यकीन है,
सच कहती थी जो भी अम्मी कहती थी,
बचपन के दिन थे, चांद में परियां रहती थी,
एक दिन जब अपनों ने भी नाता तोड दिया,
एक वो दिन जब पेड़ की शाखें बोझ हमारा सहती थी,
एक यह दिन जब सारी सडके रुठी रुठी लगती है,
एक वह दिन जब आओ सारी गलियां कहती थी ,
एक यह दिन जब जागी रातें दीवारों को तकते हैं, एक वह दिन जब शामों की भी पलकें बोझल रहती थी….
वक्त ने करवट बदली। सलीम खान और उनकी जोड़ी ने 25 सफल और बहुत बेहतरीन फिल्में लिखी।जोड़ी टूटने के बाद भी उन्होंने गीतकार के रूप में सुपरहिट गाने दिए।वे राज्यसभा के सांसद भी रहे।
जावेद अख्तर ने भी दो शादियां की हनी ईरानी और शबाना आजमी से।
हनी ईरानी के साथ शादी का वाकिया भी थोड़ा अजीब है। फिल्म सीता और गीता के सेट पर पत्ते खेलने के दौरान शर्त लगी कि अगर जावेद अख्तर गेम जीते तो वह उनसे शादी करेंगे। शादी के लिए हनी ईरानी की मां को मनाना जरूरी था ।जिसका जिम्मा सलीम खान ने लिया। उन्होंने उनकी मां से शादी की बात करते हुए कहा कि, एक लड़का तुम्हारी बेटी से शादी करना चाहता है ,लेकिन उसके पास रहने के लिए घर नहीं है। वह पत्ते खेलने का और शराब पीने का शौकीन है। इस बात से आ गई ना आपको शोले फिल्म की याद? सन 1972 में जावेद अख्तर की शादी हनी ईरानी से हुई । चूंकि ,इनके पास रहने के लिए घर नहीं था, अतः दोनो ने हनी ईरानी की बड़ी बहन मेनका के घर के कमरे में रहना शुरू किया ।आर्थिक स्थिति खराब थी। हनी ईरानी और उनकी बहन डेज़ी ईरानी ने बाल कलाकार के रूप में कई फिल्मों में काम किया है। हनी ईरानी की लिखी कहानी पर भी ‘” “लम्हे” “डर” “क्या कहना” जैसी हटके फिल्में बनी।उन्होंने “कहो ना प्यार है”, “कोई मिल गया” “क्रिश “,और “क्रिश 3” जैसी फिल्मों के स्क्रीनप्ले भी लिखे हैं।उनकी दो संतानें फरहान अख्तर और जोया अख्तर को कौन नहीं जानता।
जावेद अख्तर ने दूसरी शादी जाने माने उर्दू शायर और गीतकार कैफी आजमी और थियेटर कि प्रसिद्ध अभिनेत्री शौकत आजमी की बेटी अभिनेत्री शबाना आजमी से की।आर्ट फिल्मों की मूवमेंट को बढ़ावा देने वाली,शबाना आजमी नेशनल,फिल्मफेयर अवार्ड्स के साथ साथ पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित की गई है।जावेद अख्तर से शादी को लेकर उनके परिवार में विरोध था।लेकिन प्रेम के आगे सबकुछ बेकार है।इस शादी के बाद जावेद अख़्तर और हनी ईरानी का डिवोर्स हुआ।
जावेद अख्तर की बेटी जोया अख्तर ने भी बॉलीवुड को अपनी मूवी मेकिंग की कला से प्रभावित किया है। ज़ोया ने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से फिल्म मेकिंग में डिप्लोमा किया है ।जोया ने मीरा नायर,टोनी गेरबर,,देव बेनेगल की असिस्टेंट के रूप में काम कर फिल्म मेकिंग की कला को धार दी।उनकी फिल्में ,”जिंदगी ना मिलेगी दोबारा “”गली ब्वॉय” “लक बाई चांस” “तलाश :द आंसर लाइज विदीन” को लोगों ने काफी पसंद किया है। इसके अलावा नेटफ्लिक्स पर “लस्ट स्टोरी” और “घोस्ट स्टोरी” की कुछ एपिसोड भी उन्होंने लिखे और डायरेक्ट किए हैं।
जावेद अख्तर के बेटे फरहान अख्तर बचपन में स्कूल जाने से कतराते थे ।किसी तरह स्कूल की पढ़ाई तो पूरी की लेकिन एक दिन अचानक उन्होंने कॉलेज जाना भी छोड़ दिया ।मां ने भी एक बार उन्हें घर से निकल बाहर किया था।लेकिन कहते है न कि जीन्स हमेशा काम करते है।दादा,पिता,मां,सभी लेखिनी के बादशाह रहे हैं,यह गुण तो कभी बाहर आना ही था।उनकी लिखी स्क्रिप्ट पर पहली फिल्म आमिर खान ने बनाई, जिसका नाम था “दिल चाहता है”।यह फिल्म आज भी एवरग्रीन फिल्म मानी जाती है। फिर कभी भी यह सफर नहीं रुका। “रॉक ओन” में उन्होंने अभिनेता के रूप में डेब्यू किया।उसके बाद “डॉन” सीरीज “भाग मिल्खा भाग” जैसी फिल्में बनाई।
ये तो हुई जां निसार अख्तर के बेटे जावेद अख्तर कीऔर उनके परिवार की ।जावेद अख्तर के भाई सलमान अख्तर का बेटा कबीर अख्तर भी कुछ कम नही है।दादा की विरासत को उन्होंने भी बढ़ाया है।अमेरिकन टेलीविजन के वे जाने माने डायरेक्टर है। उन्होंने प्रसिद्ध ब्रिटिश कॉमेडी “मुंबई कॉलिंग” के तीन एपिसोड डायरेक्ट किए थे ।उन्हें 2016 में एमी अवॉर्ड से नवाजा गया है ।उनके चिर परिचित प्रोजेक्ट्स में “नेवर हैव आई एवर” “अरेस्टेड डेवलपमेंट” “क्रेजी एक्स गर्लफ्रेंड” “बिहाइंड द म्यूजिक” “यंग शेल्डन” है।
यू जां निसार अख़्तर की लेखिनी की विरासत आगे की पीढियां आगे बढ़ा रही है, और रोशन कर रही है।
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