CATEGORIES

February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728  
Monday, February 24   3:24:27
Dadabhai Naoroji

दादाभाई नौरोजी की जयंती : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ‘ग्रैंड ओल्ड मैन’

Dada Bhai Naoroji Birth Anniversary: दादाभाई नौरोजी की 199वीं जयंती के मौके पर वडोदरा महानगरपालिका द्वारा सयाजीगंज में स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि की गई।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई ऐसे महापुरुष हुए हैं जिनकी सोच, विचारधारा और कार्यों ने आज़ादी की नींव को मजबूत किया। इनमें से एक प्रमुख नाम दादाभाई नौरोजी का है, जिन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का ‘ग्रैंड ओल्ड मैन’ भी कहा जाता है। उनकी जयंती हमें उनके योगदान और उनके द्वारा स्थापित सिद्धांतों को याद करने का अवसर देती है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

दादाभाई नौरोजी का जन्म 4 सितंबर 1825 को मुंबई में एक पारसी परिवार में हुआ था। उन्होंने मुंबई के एल्फिंस्टन कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की और अपने समय के सबसे होनहार छात्रों में से एक थे। वह गणित और अंग्रेजी के प्रोफेसर बने, लेकिन उन्होंने अपने जीवन को समाज सेवा और देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया।

भारतीय राजनीति में प्रवेश

दादाभाई नौरोजी ने 1852 में भारतीय राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जनता के हितों के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाने लगे। वह 1867 में लंदन गए, जहां उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के मुद्दों को ब्रिटिश संसद में उठाया। वह भारतीयों की दुर्दशा को उजागर करने के लिए विभिन्न मंचों पर भाषण देते रहे।

‘ड्रेनेज थ्योरी’ और ब्रिटिश शासन की आलोचना

दादाभाई नौरोजी का सबसे बड़ा योगदान उनकी ‘ड्रेनेज थ्योरी’ है। इस सिद्धांत के माध्यम से उन्होंने यह स्पष्ट किया कि ब्रिटिश शासन भारत की संपत्ति को लूटकर अपने देश में स्थानांतरित कर रहा है। उन्होंने बताया कि ब्रिटिश राज के कारण भारत गरीब हो रहा है और यह देश की आर्थिक स्थिति को बदतर बना रहा है। उनके इस सिद्धांत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं को ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भूमिका

1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई और दादाभाई नौरोजी इसके संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वह 1886 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने और 1893 तथा 1906 में भी इस पद को सुशोभित किया। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने भारतीय जनता की मांगों को ब्रिटिश सरकार के सामने प्रभावी ढंग से रखा।

ब्रिटिश संसद में भारतीय प्रतिनिधि

दादाभाई नौरोजी 1892 में ब्रिटिश संसद के लिए चुने गए और वह पहले भारतीय थे जिन्होंने ब्रिटिश संसद में प्रवेश किया। यहां उन्होंने भारतीय मुद्दों को उठाया और ब्रिटिश सरकार को भारतीयों के साथ होने वाले अन्याय के बारे में जागरूक किया।

सामाजिक सुधारक के रूप में योगदान

दादाभाई नौरोजी न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक सामाजिक सुधारक भी थे। उन्होंने महिला शिक्षा, विधवा पुनर्विवाह और जाति व्यवस्था के खिलाफ काम किया। वह भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ भी आवाज उठाते रहे।

दादाभाई नौरोजी ने अपना पूरा जीवन भारतीयों की भलाई और स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया। 30 जून 1917 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। उनके सिद्धांत और विचारधारा ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक दिशा दी और उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक अमिट स्थान दिलाया।

दादाभाई नौरोजी की जयंती पर हम उन्हें नमन करते हैं और उनके योगदान को याद करते हुए उनके आदर्शों का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चाई और न्याय के लिए संघर्ष करते रहना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी विपरीत क्यों न हों।