गुरुवार रात, बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवात ‘दाना’ ने ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में भयावह तबाही मचाई। यह तूफान रात 12:05 बजे ओडिशा के तट पर 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से टकराया। लगभग 8:30 घंटे बाद, इसकी गति घटकर 10 किमी प्रति घंटे रह गई, लेकिन तब तक यह अपनी विनाशकारी छाप छोड़ चुका था।
तूफान के प्रभाव से ओडिशा में लगातार बारिश हो रही है, और भद्रक एवं केंद्रपाड़ा जैसे क्षेत्रों में 30 सेंटीमीटर से अधिक बारिश की संभावना जताई गई है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने जानकारी दी कि लगभग 5.84 लाख लोगों को राहत शिविरों में सुरक्षित स्थानांतरित किया गया है। तूफान ने कई इलाकों में पेड़ों को उखाड़ दिया और वाहनों को नुकसान पहुँचाया।
हालांकि, राहत की बात यह है कि कोलकाता और भुवनेश्वर एयरपोर्ट पर उड़ान सेवाएं धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं। पहली फ्लाइट कोलकाता से सुबह 8:40 बजे रवाना हुई, जबकि रेलवे ने कैंसिल की गई ट्रेनों को छोड़कर, अन्य ट्रेनों का संचालन सामान्य रूप से जारी रखा है।
चक्रवात ‘दाना’ का असर केवल ओडिशा तक सीमित नहीं रहा; यह पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु में भी महसूस किया गया। पश्चिम बंगाल सरकार ने भी 83 हजार लोगों को राहत शिविरों में पहुँचाया है।
यह अत्यंत आवश्यक है कि ऐसी आपदाओं के समय में सरकार और स्थानीय प्रशासन की तत्परता अधिक से अधिक बढ़े, ताकि प्रभावित लोगों की मदद में कोई कमी न रह जाए। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि प्रकृति के इस असीम बल का सामना करने के लिए हम सभी को सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
चक्रवात ‘दाना’ ने एक बार फिर हमें यह सिखाया है कि हमें प्रकृति के प्रति सजग और सावधान रहना होगा, क्योंकि इसके अचानक परिवर्तन हमें कभी भी चौंका सकते हैं। राहत कार्यों में तेजी लाना और प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण में सहयोग करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
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