गुजरात की सरज़मीं पर जब राजनीति की सबसे पुरानी पार्टी ने अपने 84वें राष्ट्रीय अधिवेशन का आग़ाज़ किया, तो माहौल सियासी गर्मी से भर उठा। साबरमती रिवरफ्रंट पर आयोजित इस दो दिवसीय आयोजन (8-9 अप्रैल) में कांग्रेस पार्टी ने न सिर्फ़ अपनी रणनीति स्पष्ट की, बल्कि सत्ता पक्ष पर तीखे हमले भी किए। अधिवेशन की थीम थी – ‘न्यायपथ: संकल्प, समर्पण और संघर्ष’, जो इस बात का संकेत देती है कि पार्टी अब न सिर्फ़ विपक्ष की भूमिका में, बल्कि बदलाव के अग्रदूत बनने की तैयारी में है।
राहुल गांधी का तीखा प्रहार: संविधान पर हमला, RSS की साजिश
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि हाल ही में लोकसभा में पारित वक्फ संशोधन बिल सिर्फ एक क़ानूनी बदलाव नहीं, बल्कि भारत के संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा कि “RSS के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में यह साफ़ लिखा गया है कि अब अगला निशाना ईसाई समुदाय होगा। ये देश को धार्मिक आधार पर बांटने की साजिश है।”
उनका दावा था कि यह “एंटी-रिलीजन बिल” है और हर भारतीय को इसके ख़तरों को समझना होगा।
‘संघर्ष की बुनियाद’ में जिलाध्यक्ष: संगठन में बड़ा बदलाव
राहुल गांधी ने पार्टी के सांगठनिक ढांचे को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा, “जिला अध्यक्ष अब संगठन की नींव होंगे। हम उन्हें पार्टी का आधार बना रहे हैं।” यह स्पष्ट संकेत था कि कांग्रेस अब ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने की तैयारी कर रही है।
जाति जनगणना की हुंकार: ‘हम करेंगे कानून पास’
राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस सत्ता में आते ही संसद में जाति जनगणना से संबंधित कानून पास करेगी। उन्होंने तेलंगाना का उदाहरण देते हुए कहा, “वहां हमने ओबीसी को 42% आरक्षण देकर दिखाया। अब यही काम पूरे देश में होगा।”
अग्निवीर, बेरोजगारी और निजीकरण पर सरकार को घेरा
राहुल ने अग्निवीर योजना को ‘युवाओं के साथ धोखा’ बताते हुए कहा कि “सरकार कहती है कि शहीद होने पर न पेंशन मिलेगी, न सम्मान।” उन्होंने कहा कि आज देश की संपत्तियाँ अडाणी-अंबानी को सौंपी जा रही हैं, और जिन संस्थाओं ने कभी पिछड़ों को रोज़गार दिया, वे अब बेच दी जा रही हैं।
खड़गे का तंज: ‘नेहरू का भारत बेच रहे हैं मोदी’
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि “नेहरू ने जो भारत गढ़ा, मोदी उसे टुकड़े-टुकड़े करके बेच रहे हैं। उनके शासन में आरक्षण, न्याय और बराबरी खतरे में है।”
उन्होंने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा कि बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाएं। “जब महाराष्ट्र में 150 सीटों पर लड़कर 138 जीतीं, तो इसमें कुछ तो गड़बड़ है।”
आखिर कांग्रेस क्या कह रही है? – मेरी राय
84वें अधिवेशन में जो बात सबसे ज़्यादा उभरकर आई, वह थी “सिर्फ़ सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि विचारधारा की लड़ाई।” राहुल गांधी और खड़गे दोनों ने ज़ोर देकर कहा कि यह लड़ाई संसदीय संख्या की नहीं, बल्कि संविधान और सेक्युलरिज़्म की है।
कांग्रेस ने इस अधिवेशन में स्पष्ट रूप से “Back to Basics” का संदेश दिया है – ज़मीनी संगठन को मज़बूत करना, जाति आधारित भागीदारी की बात करना और युवाओं को केंद्र में रखना।
राहुल गांधी ने एक खास बात कही – “हम सभी से मोहब्बत करते हैं। वे नफरत से लड़ते हैं, हम मोहब्बत से।” यह लाइन सिर्फ़ एक राजनैतिक बयान नहीं, बल्कि कांग्रेस की भावी रणनीति की रूपरेखा थी।
हां, अधिवेशन में कुछ लापरवाह पल भी देखे गए – जैसे लंच के बाद प्रतिनिधियों की ऊंघती तस्वीरें – पर ये मानवीय झलकें भी हैं। राजनीति की थकान को कभी-कभी आंखें बयां कर देती हैं।
क्या गुजरात से बदलाव की बयार उठेगी?
अहमदाबाद में कांग्रेस का यह अधिवेशन न सिर्फ़ एक संगठनात्मक सभा थी, बल्कि आने वाले समय की रणनीतिक रेखाचित्र भी। राहुल गांधी की बातों में एक नई उर्जा दिखी – खासकर युवा, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों को साथ लाने की।
क्या यह रणनीति बीजेपी के मजबूत किले में सेंध लगाएगी? यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगी, पर यह ज़रूर कहा जा सकता है कि कांग्रेस अब सिर्फ़ अतीत की बातें नहीं कर रही, बल्कि भविष्य की राह भी दिखाने की कोशिश कर रही है।

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