मां अंबा की भक्ति और शक्ति का उत्सव है, नवरात्रि।नव दिवसीय इस पर्व का साल भर खेलैयों को इंतजार रहता है।इस वर्ष बड़े बड़े मैदानों में होते विशाल गरबे के साथ साथ सोसायटीज में भी गरबे का लोग लुत्फ उठा रहे है।जिसे नाम दिया है,सीमेरा आंगन मेरा गरबा”।
“या देवी सर्व भूतेशु श्रद्धा रूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः “
दुर्गा सप्तशती में भी मां अंबा की भक्ति में शक्ति, भक्ति,श्रद्धा,सभी की जरूरत पर जोर दिया गया है।श्रद्धा दर्शाने के लिए विशालता नहीं संप्रभुता,संस्कृति को संजोने की लालसा जरूरी है।ऐसा ही हुआ है इस बार नवरात्रि में।वडोदरा के चंद गिने चुने विशाल ग्राउंड्स में बड़े बड़े गरबा आयोजकों द्वारा गरबे का आयोजन किया जाता है। यहां की विशालता,भव्यता चकाचौंध से भरपूर होती है।इन ग्राउंड्स पर खेलने के लिए युवावर्ग इच्छुक रहता है।लेकिन यहां पर प्रवेश पाने के लिए “पास” की ऊंची कीमत सभी अफोर्ड नही कर सकते।ऐसे में “मेरा आंगन मेरा गरबा”कंसेप्ट काफी पसंद किया जा रहा है।
सभी सोसाइटीज ,फ्लैट्स,में गरबा का आयोजन वहां के निवासी करते है।जिसमे सभी निवासी अपनी श्रद्धा,शक्ति अनुसार योगदान करते है।सभी सपरिवार एकत्र होते है,जिनमे बच्चो से लेकर बड़े बूढ़े भी शामिल होते है।गरबा के बाद खाना पीना होता है। यूं वर्ष में दस दिन सभी साथ में एन्जॉय करते है।इससे बॉन्डिंग भी बढ़ती है।
वैसे इस प्रकार नवरात्रि मनाना प्राचीन काल से चला आ रहा है।जो बीच में छूट गया था,वह पुनः शुरू हुआ है।
More Stories
पाकिस्तान में विलुप्त हो रही मोहम्मद अली जिन्ना की मातृभाषा, गुजराती बचाने की मुहिम ने पकड़ी रफ्तार
गुजरात के इस गांव में 71 वर्षीय वृद्धा से 35 वर्षीय व्यक्ति ने किया दुष्कर्म, पुलिस ने ड्रोन की मदद से किया आरोपी को गिरफ्तार
पैदल संसद से लेकर ऑटो-रिक्शा तक, सादगी के प्रतीक अटलजी की अनसुनी कहानियां