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भाजपा के झूठ के खिलाफ कांग्रेस का आर-पार का संघर्ष ; नेशनल हेराल्ड केस बना सियासी युद्ध का नया मोर्चा

नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दाखिल की गई पहली चार्जशीट के बाद देश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। चार्जशीट में कांग्रेस की शीर्ष नेतृत्व—सोनिया गांधी और राहुल गांधी—के नाम आने पर कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दिया है और ‘भाजपा के झूठ के खिलाफ कांग्रेस का सच’ अभियान की शुरुआत कर दी है।

21 से 27 अप्रैल तक कांग्रेस 57 शहरों में 57 प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी। पार्टी ने इस सिलसिले को एक राष्ट्रव्यापी जन-जागरूकता आंदोलन का रूप दिया है। विजयवाड़ा से वाराणसी और कश्मीर से कन्याकुमारी तक कांग्रेस नेता मीडिया के माध्यम से जनता के समक्ष अपनी बात रखेंगे।

पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “भाजपा की झूठ की राजनीति के खिलाफ कांग्रेस एकजुट होकर राष्ट्र के हर कोने में पहुंचेगी। नेशनल हेराल्ड न सिर्फ एक अख़बार है, बल्कि यह स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा है—इसे मिटाना देश के इतिहास से खिलवाड़ है।”

प्रेस कॉन्फ्रेंस की कमान मणिकम टैगोर, पी. चिदंबरम, शशि थरूर, भूपेश बघेल, रणदीप सुरजेवाला, कन्हैया कुमार जैसे वरिष्ठ और युवा नेताओं के हाथों में है, जो जनता के सामने तथ्यों और सवालों की एक नई लहर लाने को तैयार हैं।

ED की चार्जशीट और कांग्रेस का गुस्सा

15 अप्रैल को ED ने पहली चार्जशीट में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे को नामजद किया। एजेंसी का आरोप है कि इन नेताओं ने महज़ ₹50 लाख में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की ₹2,000 करोड़ की संपत्ति यंग इंडियन नामक निजी कंपनी के ज़रिए अपने कब्जे में ले ली, जिसमें 76% हिस्सेदारी गांधी परिवार की है।

ED के अनुसार, इस डील में ₹988 करोड़ की ‘अपराध से अर्जित संपत्ति’ है और इससे जुड़ी संपत्तियों का बाजार मूल्य ₹5,000 करोड़ से अधिक आंका गया है।

कांग्रेस का पलटवार: “हम डरने वाले नहीं”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस चार्जशीट को “साजिश और बदले की भावना” करार देते हुए कहा, “नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों को जानबूझकर अहमदाबाद अधिवेशन के समय अटैच किया गया ताकि कांग्रेस के विचारों को कुचला जा सके। लेकिन हम झुकने वाले नहीं हैं।”

उन्होंने आगे जोड़ा, “भाजपा लोकतंत्र का गला घोंट रही है। ED, CBI और IT जैसी संस्थाएं आज सत्ता के हथियार बन चुकी हैं। लेकिन कांग्रेस का हर कार्यकर्ता संविधान बचाने के लिए तैयार है।”

सड़कों पर संघर्ष: तिरुवनंतपुरम से दिल्ली तक प्रदर्शन

देशभर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ED के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। तिरुवनंतपुरम में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। दिल्ली में पार्टी मुख्यालय के बाहर धरना दे रहे कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया। यह स्पष्ट संदेश है कि कांग्रेस इस बार मैदान नहीं छोड़ेगी।

‘संविधान बचाओ’ यात्रा: 25 अप्रैल से नया अध्याय

कांग्रेस 25 अप्रैल से 30 अप्रैल तक ‘संविधान बचाओ’ रैली निकालेगी, जो 30 मई तक देश के 4,500 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचेगी। पार्टी घर-घर जाकर भाजपा सरकार की कथित साजिशों का पर्दाफाश करेगी।

नेशनल हेराल्ड केस की जड़ें: इतिहास, विवाद और सवाल

नेशनल हेराल्ड की शुरुआत 1938 में पंडित नेहरू और स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी। AJL (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) इस अखबार के स्वामी थे, जो नवजीवन (हिंदी) और कौमी आवाज़ (उर्दू) भी निकालते थे।
2008 तक AJL पर ₹90 करोड़ का कर्ज हो गया था, जिसे कांग्रेस ने 2002–2011 के बीच कर्ज के रूप में दिया। 2010 में यंग इंडियन नाम की गैर-लाभकारी कंपनी बनाई गई और AJL की 99% हिस्सेदारी इस कंपनी को ट्रांसफर कर दी गई।

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि यह सब केवल हेराल्ड हाउस जैसी कीमती संपत्तियों को हथियाने के लिए किया गया। 2014 में ED ने मामला दर्ज किया और अब पहली चार्जशीट दाखिल कर दी गई है।

यह मामला अब कानूनी से कहीं अधिक राजनीतिक हो गया है। चुनावी साल में जब सत्ता और विपक्ष आमने-सामने हों, तब हर जांच एक हथियार बन जाती है और हर बचाव एक आंदोलन।
कांग्रेस की यह रणनीति—सड़क से सदन तक लड़ाई—उसे लंबे समय बाद आक्रामक विपक्ष की भूमिका में लाती है। यदि वह जनता के बीच भरोसेमंद संवाद बना पाए, तो यह केवल नेशनल हेराल्ड की लड़ाई नहीं, बल्कि लोकतंत्र की लड़ाई बन सकती है।