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Saturday, December 28   11:54:41

कांग्रेस नेता ने स्मारक विवाद को लेकर साधा केंद्र सरकार पर निशाना

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 92 वर्ष की आयु में गुरुवार रात हो गया था, और उनकी अंतिम यात्रा ने राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर आग्रह किया था कि  मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार उसी स्थान पर किया जाए जहां उनका स्मारक भी बने। यह आग्रह मुख्य रूप से इसलिए किया गया था क्योंकि कांग्रेस पार्टी और मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्य चाहते थे कि उनके योगदान को उचित सम्मान मिले और उनकी याद में एक स्थायी स्मारक स्थापित किया जाए।

हालांकि, गृह मंत्रालय ने इस पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि दिल्ली के निगमबोध घाट पर मनमोहन  सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा। मंत्रालय ने यह भी बताया कि स्मारक बनाने के लिए एक उपयुक्त स्थान की तलाश जारी है और इसके लिए एक ट्रस्ट भी गठित किया जाएगा, लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा। कांग्रेस नेताओं ने इसे असंतोषजनक जवाब बताते हुए यह आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री का सम्मान नहीं किया और उनका अपमान किया है।

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा, “सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री का स्मारक बनाने के लिए अभी तक जमीन भी नहीं ढूंढी है, और यह एक अपमान है। यह देश के पहले सिख प्रधानमंत्री का अपमान है।”

कांग्रेस ने स्मारक के निर्माण के स्थान को लेकर एक विशेष सुझाव दिया। प्रियंका गांधी ने सुझाव दिया कि मनमोहन सिंह का स्मारक शक्ति स्थल (इंदिरा गांधी का स्मारक) या वीरभूमि (राजीव गांधी का स्मारक) के पास होना चाहिए, जिससे उनके योगदान को सही मायने में सम्मान मिल सके।

भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों का कड़ा विरोध किया। भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “कांग्रेस ने मनमोहन सिंह को कभी सम्मान नहीं दिया। अब उनके निधन के बाद राजनीति करना ठीक नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने हमेशा सभी नेताओं को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सम्मान दिया है।” भाजपा प्रवक्ता सीआर केसवन ने उदाहरण के तौर पर कहा कि यूपीए सरकार ने कभी नरसिम्हा राव के लिए दिल्ली में कोई स्मारक नहीं बनाया, जबकि पीएम मोदी ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया और उनके लिए स्मारक स्थापित किया।

स्मारक की जगह को लेकर कुछ अन्य नेताओं ने भी केंद्र पर सवाल उठाए हैं। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान के लिए स्थापित परंपरा का पालन किया जाना चाहिए, जबकि आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने इसे सरकार की “छोटी सोच” बताया। शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने भी मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए स्थान को लेकर राजघाट की परंपरा को ध्यान में रखने की बात कही।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उदाहरण देते हुए भाजपा ने कहा कि अटल वाजपेयी का अंतिम संस्कार राजघाट पर हुआ था और बाद में वहां उनका स्मारक भी स्थापित किया गया था। इसी तरह, भाजपा ने कहा कि मनमोहन सिंह का स्मारक भी जल्द ही बनेगा, लेकिन इसके लिए समय की आवश्यकता है।

मनमोहन सिंह: देश के पहले सिख प्रधानमंत्री

मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे न केवल देश के पहले सिख प्रधानमंत्री थे, बल्कि वे सबसे लंबे समय तक इस पद पर बने रहने वाले चौथे प्रधानमंत्री भी थे। उनके योगदान को भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में लंबे समय तक याद किया जाएगा, खासकर जब उन्होंने आर्थिक सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके निधन पर केंद्र सरकार ने 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है और कांग्रेस पार्टी ने 3 जनवरी तक अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं।

कांग्रेस और भाजपा के बीच चल रहे विवाद के बीच, सवाल यह उठता है कि क्या नेताओं को अपनी राजनीतिक विवादों से ऊपर उठकर अपने योगदान को सम्मानित करना चाहिए? मनमोहन सिंह के योगदान को देखे बिना उनका सम्मान राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बन जाना न केवल दुखद है, बल्कि यह देश की राजनीतिक संस्कृति पर भी सवाल खड़ा करता है। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि जल्द ही उनके योगदान को सही सम्मान मिलेगा और उनका स्मारक एक प्रतीक के रूप में स्थापित किया जाएगा, जो आने वाली पीढ़ियों को उनके कार्यों और योगदान की याद दिलाएगा।