CATEGORIES

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
Monday, December 23   1:05:41

आओ तुम्हें चांद पर ले जाए,वो भी ट्रेन में

18-07-22

जापान चांद और मंगल पर पृथ्वी जैसी रहने लायक पर्यावरण बनाने जा रहा है। इसके साथ ही पृथ्वी, चांद और मंगल को जोड़ने के लिए अंतर-ग्रहीय ट्रेनें भी चलाने वाला है। यह सुनने में अजीब लग रहा है, लेकिन यह सच है। इस प्रोजेक्ट के लिए जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने काजिमा कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ गठबंधन किया है।

टीम ने जीरो और लो ग्रेविटी वातावरण में मानव मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम के कमजोर होने से रोकने के लिए पृथ्वी जैसी सुविधा वाली ‘ग्लास’ आवास संरचना विकसित करने के लिए इस योजना की घोषणा की। ग्लास में भी पृथ्वी जैसा पर्यावरण और ग्रेविटेशनल फोर्स होगा। इससे अंतरिक्ष में रहना आसान हो जाएगा। इस योजना के तहत ग्लास और अंतर-ग्रहीय ट्रेनों का प्रोटोटाइप बनाने में लगभग 30 साल लग जाएंगे।

क्योटो यूनिवर्सिटी और काजिमा कंस्ट्रक्शन कंपनी ने मिलकर एक अंतरिक्ष में रहने योग्य संरचना बनाने का लक्ष्य रखा है। इस कोनिकल संरचना का नाम ‘ग्लास’ है। ग्लास के अंदर बनावटी ग्रेविटेशन, ट्रांस्पोर्ट सिस्टम, पेड़-पौधे और पानी भी उपलब्ध होगी। पृथ्वी पर मौजूद सभी सुविधाओं को अंतरिक्ष में बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस संरचना को चांद पर ‘लूनाग्लास’ और मंगल पर ‘मार्सग्लास’ कहा जाएगा।

यह एक उल्टा कोन है जो पृथ्वी के रियल ग्रविटेशन के प्रभाव की नकल करते हुए एक सेंट्रीफ्यूगल पुल बनाने के लिए घूमेगा और पृथ्वी जैसी ग्रविटेशन पैदा करेगा। इस ग्लास की उंचाई लगभग 1300 फीट और रेडियस 328 फीट होगी। इसे शुरू होने में तकरीबन 100 साल लग जाएंगे।
टीम एक इंटरप्लेनेटरी ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम बनाने पर भी काम करेगी। जिसे ‘हेक्साट्रैक’ कहा जाएगा। यह वाहन लंबी दूरी तय करने के दौरान पृथ्वी सतह जैसी ग्रेविटी पैदा करेगी। कम ग्रेविटेशन में सफर करने पर इंसानों को कई प्रकार के परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ट्रेनों में हेक्सागोनल आकार के कैप्सूल भी होंगे जिन्हें ‘हेक्साकैप्सूल’ कहा जाएगा और बीच में एक मुविंग डिवाइस भी होगी।

दो तरह के कैप्सूल बनाए जाएंगे, एक पृथ्वी से चांद पर जाने के लिए और दूसरा पृथ्वी से मंगल पर जाने के लिए। चांद वाले कैप्सूल का रेडियस 15 मीटर होगा, वहीं मंगल पर जाने वाले कैप्सूल का रेडियस 30 मीटर होगा। यह कैप्सूल सफर के दैरान 1G ग्रेविटेशन बरकरार रखेगा।

चांद पर मौजूद स्टेशन गेटवे उपग्रह का उपयोग करेगा और इसे चंद्र स्टेशन के रूप में जाना जाएगा, वहीं मंगल पर रेलवे स्टेशन को मंगल स्टेशन कहा जाएगा। यह मंगल ग्रह के उपग्रह फोबोस पर स्थित होगा। मानव अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र के मुताबिक पृथ्वी स्टेशन को टेरा स्टेशन कहा जाएगा।