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bilashpur jain samaj

बिलासपुर जैन समाज के बच्चों ने पर्युषण पर्व पर सिखाई आत्मरक्षा की कला, देखकर सभी हुए भावुक

Paryushan Parv 2024: असि, मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प— इन छह कलाओं का ज्ञान सबसे पहले इस सृष्टि को जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने दिया था। आदिनाथ को युग के आरंभ में हुए होने के कारण “आदिनाथ” कहा जाता है। पर्युषण पर्व के शुभ अवसर पर बिलासपुर जैन समाज ने इन विद्याओं को एक बार फिर से दोहराया और समाज को भगवान आदिनाथ की शिक्षाओं का महत्व समझाया।

bilashpur jain samaj (1)

बिलासपुर जैन समाज ने इस अवसर पर बच्चों को आत्मरक्षा (असि) के महत्व पर विशेष जोर दिया। वर्तमान समय में, विशेष रूप से कोलकाता रेप एंड मर्डर केस जैसे मामलों के बाद, पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा पर जागरूकता बढ़ी है। आंकड़ों के अनुसार, हर मिनट देश में कहीं न कहीं किसी बेटी के साथ अत्याचार हो रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए, बिलासपुर जैन समाज ने बच्चों को आत्मरक्षा सिखाने की पहल की है ताकि वे खुद की सुरक्षा कर सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।

bilashpur jain samaj (1)

इस प्रयास के तहत समाज द्वारा बच्चों को निशुल्क मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग दी जा रही है। पर्युषण पर्व के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में बच्चों ने आत्मरक्षा पर आधारित प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने कोलकाता रेप एंड मर्डर केस से प्रेरित एक मंचन प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति में बच्चों ने आत्मरक्षा के महत्व और तकनीकों को प्रदर्शित किया, जिसे देखकर सभी उपस्थितजन भावुक हो गए।

इस आत्मरक्षा प्रशिक्षण में समाज के करीब 50 बच्चे एक साल से प्रशिक्षण ले रहे हैं, जिनमें सभी वर्गों की लड़कियाँ और महिलाएँ भी शामिल हैं। इस प्रशिक्षण क्लास में तीन शिक्षकों— सूरज सर, प्रिया मैम, और सुभ्रद्रा मैम द्वारा बच्चों को मार्शल आर्ट्स की विभिन्न तकनीकें सिखाई जा रही हैं, ताकि वे विपरीत परिस्थितियों में अपनी सुरक्षा कर सकें।

इस पहल ने समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के प्रति एक नई जागरूकता पैदा की है, और भविष्य में यह और भी अधिक सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त करेगी।