बेंगलुरु, 21 मार्च 2025
कर्नाटक विधानसभा में शुक्रवार को बजट सत्र के दौरान एक बार फिर हंगामा का माहौल देखने को मिला। इस बार विवाद का कारण सरकारी ठेकों में मुस्लिम समुदाय के लिए प्रस्तावित 4% आरक्षण था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने इस मुद्दे पर जमकर विरोध जताया। नेता विपक्ष आर. अशोक के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने आरक्षण विधेयक की प्रतियां फाड़कर स्पीकर की ओर उछाल दीं। इसके बाद स्पीकर यूटी खादर ने सख्त कदम उठाते हुए मार्शलों को बुलाया और हंगामा करने वाले 18 भाजपा विधायकों को सदन से बाहर निकलवा दिया। इतना ही नहीं, इन विधायकों को 6 महीने के लिए निलंबित भी कर दिया गया।लेकिन इस हंगामे के बीच एक और बड़ा फैसला चुपचाप पारित हो गया, जिसने सबका ध्यान खींचा। कर्नाटक सरकार ने मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों की सैलरी में 100% बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी। इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री का मासिक वेतन 75 हजार रुपये से बढ़कर 1.5 लाख रुपये हो जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद के सभापति का वेतन भी 75 हजार से बढ़कर 1.25 लाख रुपये हो गया। मंत्रियों की सैलरी 60 हजार से बढ़कर 1.25 लाख रुपये हो जाएगी, जबकि विधायकों का वेतन 40 हजार से बढ़कर 80 हजार रुपये प्रतिमाह होगा। इसके अलावा हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और अन्य भत्तों में भी बढ़ोतरी की गई है। इस बदलाव से राज्य के खजाने पर सालाना करीब 10 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
सरकार का तर्क और विपक्ष का विरोध
राज्य सरकार ने इस बढ़ोतरी को जायज ठहराते हुए कहा कि विधायकों के खर्चों में इजाफा हुआ है और यह संशोधन हर पांच साल में वेतन समीक्षा की नीति के तहत किया गया है। कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एच.के. पाटिल ने इस विधेयक को पेश किया, जिसे विधानसभा ने 21 मार्च को पारित कर दिया। दूसरी ओर, विपक्ष और कुछ लोगों ने इसे जनता के लिए खजाने के खाली होने के दावों के बीच नेताओं के लिए “अनुचित लाभ” करार दिया है।
कर्नाटक के विधायक देश के सबसे अमीर
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक के 31 विधायकों के पास 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार 1,413 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के साथ राज्य के सबसे धनी विधायक हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब विधायक पहले से ही इतने संपन्न हैं, तो उनकी सैलरी दोगुनी करने की क्या जरूरत थी?
राजस्थान में भी सैलरी बढ़ोतरी की अनोखी योजना
कर्नाटक के इस फैसले की चर्चा के बीच राजस्थान से भी एक खबर सामने आई है। वहां मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घोषणा की है कि विधायकों के वेतन और भत्ते अब हर साल 10% की दर से स्वतः बढ़ेंगे। इसके लिए बार-बार विधानसभा में बिल लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह व्यवस्था सरकारी कर्मचारियों की तर्ज पर लागू की जाएगी।
कर्नाटक और राजस्थान में विधायकों की सैलरी बढ़ोतरी का यह फैसला कई सवाल खड़े करता है। एक तरफ राज्य सरकारें जनता को यह कहकर टैक्स बढ़ा रही हैं कि खजाना खाली है, दूसरी ओर अपने नेताओं के लिए उदारता दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। कर्नाटक में जब विधायक पहले से ही देश के सबसे अमीर नेताओं में शुमार हैं, तो उनकी सैलरी दोगुनी करना क्या जनता के साथ मजाक नहीं है? यह भी चिंताजनक है कि हंगामे के बीच यह फैसला जल्दबाजी में पारित कर दिया गया, जिससे जनता के बीच पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।हमें लगता है कि नेताओं को जनसेवा के लिए प्रेरित करना चाहिए, न कि उन्हें वेतन और भत्तों के लालच में उलझाना चाहिए। अगर खर्च बढ़ गए हैं, तो इसका समाधान जनता के हित में नीतियां बनाकर निकाला जा सकता है, न कि अपने लिए खजाना खोलकर। यह वक्त है कि सरकारें जनता की भलाई को प्राथमिकता दें, न कि अपनी जेबें भरने को।यह लेख न केवल घटना का विवरण देता है, बल्कि एक आकर्षक शीर्षक और तर्कसंगत राय के साथ इसे रोचक बनाता है। क्या आप इसे और बेहतर करना चाहेंगे?

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