कंगना रनौत की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘इमरजेंसी’, जिसे उन्होंने खुद निर्देशित किया है, 6 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली थी। लेकिन, यह फिल्म अभी तक सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) में अटकी हुई है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म की संवेदनशील सामग्री को लेकर कई कट्स का सुझाव दिया है, जिसके कारण फिल्म की रिलीज़ को कम से कम एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया है।
क्यों है फिल्म अटकी?
फिल्म ‘इमरजेंसी’ का सामना सेंसर बोर्ड की सख्त आपत्तियों से हो रहा है। CBFC ने फिल्म में दिखाई गई घटनाओं को लेकर कई बदलावों की मांग की है, जिससे फिल्म का प्रमाणन रुका हुआ है। इसी वजह से फिल्म की रिलीज़ डेट भी आगे खिसक गई है।
कंगना की प्रतिक्रिया क्या है?
इस स्थिति पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कंगना रनौत ने शुभांकर मिश्रा के पॉडकास्ट में कहा, “मेरी फिल्म पर ही इमरजेंसी लगा दी गई है। ये बेहद निराशाजनक स्थिति है। मैं अपने देश से और यहां की परिस्थितियों से बेहद निराश हूं।”
कंगना ने आगे बताया कि उनकी फिल्म में दिखाए गए घटनाक्रम पहले भी मधुर भंडारकर की 2017 की राजनीतिक थ्रिलर ‘इंदु सरकार’ और पिछले साल रिलीज़ हुई ‘सैम बहादुर’ में भी दिखाए जा चुके हैं। ‘इमरजेंसी’ फिल्म 1975 में देश में लगे आपातकाल पर आधारित है, जिसमें कंगना ने इंदिरा गांधी की भूमिका निभाई है।
क्या है विवाद का असली कारण?
शुक्रवार को कंगना ने एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि फिल्म में इंदिरा गांधी की हत्या और पंजाब दंगों जैसे ऐतिहासिक घटनाओं को दिखाने को लेकर दबाव था। सेंसर बोर्ड को इसके लिए धमकियां भी मिल रही हैं।
आगे क्या करेंगी कंगना?
पॉडकास्ट में कंगना ने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह कोर्ट का सहारा लेंगी। उन्होंने कहा, “हम हमेशा उन बेतुकी कहानियों को बताते रहेंगे। आज किसी से डरेंगे, कल किसी और से। लोग हमें डराते रहेंगे क्योंकि हम आसानी से डर जाते हैं। आखिर हम कब तक डरते रहेंगे? मैंने ये फिल्म बहुत सम्मान के साथ बनाई है, इसलिए CBFC इसमें कोई विवाद नहीं निकाल पाया है। उन्होंने मेरे सर्टिफिकेट को रोक दिया है, लेकिन मैं बिना कट्स के फिल्म रिलीज़ करने के लिए कोर्ट में लड़ूंगी। मैं ये नहीं दिखा सकती कि अचानक इंदिरा गांधी अपने घर में खुद ही मर गईं। मैं इसे ऐसे नहीं दिखा सकती।”
इस पूरे मामले ने न केवल फिल्म इंडस्ट्री बल्कि दर्शकों के बीच भी एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या कला और इतिहास को बिना किसी हस्तक्षेप के प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। अब देखना होगा कि कंगना की यह लड़ाई किस अंजाम तक पहुंचती है।
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