भारत ने 2036 ओलिंपिक खेलों के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी है, और अगर यह दावेदारी सफल हो जाती है, तो गुजरात के अहमदाबाद शहर को ओलिंपिक का मेज़बान बनने का ऐतिहासिक अवसर मिल सकता है। भारतीय ओलिंपिक संघ (IOA) ने इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (IOC) को एक आधिकारिक पत्र भेजकर अपनी उम्मीद जताई है।
यह प्रस्ताव, यदि मंजूर हुआ, तो भारत के लिए ओलिंपिक का आयोजन करना एक ऐतिहासिक पल होगा, क्योंकि अब तक कभी भी भारत में ओलिंपिक खेलों का आयोजन नहीं हुआ है। अहमदाबाद, जो पहले से ही खेलों के आयोजन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है, को इस ऐतिहासिक आयोजन का केंद्र बनाने के लिए बड़ी योजनाएं तैयार की गई हैं।
नरेंद्र मोदी स्टेडियम से लेकर 6 स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स तक: एक नया खेल इंफ्रास्ट्रक्चर
ओलिंपिक के आयोजन के लिए गुजरात सरकार ने पहले से ही कई महत्वाकांक्षी योजनाएं बनाई हैं। अहमदाबाद में स्थित दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम, नरेंद्र मोदी स्टेडियम, इसके केंद्र में होगा। इसके आस-पास 6 बड़े स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनाए जाएंगे, जिनमें एक्वाटिक सेंटर, मल्टीपर्पज इंडोर एरेना, फुटबॉल और टेनिस स्टेडियम जैसी सुविधाएं शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 3 लाख करोड़ रुपए तक जा सकती है, जो राज्य के वार्षिक बजट से भी कहीं ज्यादा है।
सरकार ने इस इंफ्रास्ट्रक्चर को ओलिंपिक की अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया है। इसमें पर्यावरणीय मानक भी शामिल किए गए हैं, ताकि इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल आयोजन हो सके।
आधुनिक स्पोर्ट्स सिटी और ग्रीन ऊर्जा के सपने
ओलिंपिक 2036 के लिए अहमदाबाद और आसपास के क्षेत्रों में कई नए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और एथलीट हॉस्टल बनाए जाएंगे। गोधावी गांव में 500 एकड़ में एक स्पोर्ट्स सिटी बनाई जाएगी, जिसमें जिमनास्टिक, मुक्केबाजी, फुटबॉल, रेसलिंग जैसे खेलों के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी। यहां 500 से 1000 एथलीटों के लिए स्पोर्ट्स हॉस्टल भी तैयार किए जाएंगे।
अहमदाबाद में ओलिंपिक विलेज की योजना भी बनाई जा रही है, जिसमें 10 से 15 हजार फ्लैट्स होंगे। खास बात यह है कि ओलिंपिक विलेज को इको-फ्रेंडली बनाने के लिए ग्रीन ऊर्जा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके साथ ही इलेक्ट्रिक कारों का उपयोग भी योजना में शामिल किया गया है।
सम्पूर्ण गुजरात में होगा खेलों का प्रचार
अहमदाबाद के अलावा गुजरात के अन्य हिस्सों में भी खेलों के आयोजन की तैयारी है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास करीब 15 ओलिंपिक खेलों के आयोजन की संभावना है। इसके अलावा साबरमती रिवरफ्रंट और द्वारका के शिवराजपुर बीच पर वाटर स्पोर्ट्स के आयोजन की भी योजना है। इस तरह, ओलिंपिक आयोजन के साथ-साथ गुजरात पर्यटन और खेल उद्योग को भी बड़ा बढ़ावा मिल सकता है।
क्या गुजरात के पास होगा इतना बड़ा फंड?
हालांकि, ओलिंपिक जैसी बड़ी मेज़बानी के लिए बड़ा निवेश और खर्च होना तय है। उदाहरण के लिए, 2008 में बीजिंग ओलिंपिक पर लगभग 4.43 लाख करोड़ रुपए का खर्च आया था, और 2020 के टोक्यो ओलिंपिक का बजट भी 2.94 लाख करोड़ रुपए था। यदि गुजरात को यह जिम्मेदारी मिलती है, तो उसे इतने बड़े निवेश के लिए केंद्र सरकार से पर्याप्त फंड की आवश्यकता होगी। अनुमान है कि ओलिंपिक आयोजन पर होने वाला खर्च राज्य के सालाना बजट से भी अधिक हो सकता है।
क्या यह योजना सफल होगी?
गुजरात ने ओलिंपिक की मेज़बानी के लिए पहले से कई अहम कदम उठाए हैं। अहमदाबाद शहर में पहले ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजनों की मेज़बानी का अनुभव है, जैसे कि 2022 में फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप और खेल महाकुंभ। इसके अलावा, अहमदाबाद के पास उत्कृष्ट एयर कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा भी है।
लेकिन, एक सवाल है जो हर किसी के मन में उठता है: क्या इस विशाल प्रोजेक्ट के लिए जरूरी फंड और संसाधन जुटाना संभव होगा? खेलों की मेज़बानी एक बहुत बड़ा आर्थिक और लॉजिस्टिक कदम होता है, और यदि गुजरात इसे सफलतापूर्वक आयोजित करता है, तो यह राज्य और देश दोनों के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।
यह एक बहुत बड़ी चुनौती और अवसर दोनों है। अगर इस प्रोजेक्ट को अच्छी तरह से योजना और संसाधनों के साथ लागू किया जाता है, तो यह न केवल भारत की खेल दुनिया को एक नया मुकाम देगा, बल्कि गुजरात को एक वैश्विक खेल केंद्र के रूप में स्थापित कर सकता है।
2036 ओलिंपिक का आयोजन भारत में होने से न केवल खेलों का स्तर ऊंचा होगा, बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति भी मजबूत होगी। गुजरात की इस महत्वाकांक्षी योजना को कामयाब बनाने के लिए सभी स्तरों पर सहयोग और निवेश की आवश्यकता होगी।
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