ये कहानी है केरल की जहां “धरती से जुड़ाव ही असली निर्माण है”उस घर की, जो बना है पेड़ों को बचाकर, न कि काटकर आपने अक्सर सुना होगा कि घर बनाने के लिए पहले ज़मीन को समतल किया जाता है, पेड़ों को काटा जाता है और फिर वहाँ सीमेंट, रेत और ईंटों से एक ढांचा खड़ा किया जाता है। पर केरल के एक परिवार ने इस सोच को चुनौती दी और एक ऐसा अद्भुत Eco-Friendly Home बनाया, जिसे देखकर आप न सिर्फ़ हैरान होंगे, बल्कि प्रेरित भी होंगे।
“पेड़ों के बीच से गुजरता है ये घर” – जी हां! इस घर की दीवारें पेड़ों के साथ समन्वय में बनाई गई हैं। पेड़ जहाँ थे, वहीं हैं – उन्हें काटने के बजाय दीवारें उनके चारों ओर घुमाई गईं।
क्या है इस घर की खासियत?
Zero Chemicals – इस घर में किसी भी प्रकार के हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल नहीं हुआ है।
Recycled Materials – ईंटें, टाइल्स, लकड़ी – सब कुछ रीसायकल किया गया है।
Zero Waste Furniture – हर फर्नीचर इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि किसी भी प्रकार का वेस्ट न बने।
संपूर्ण प्राकृतिक सामग्रियाँ – मिट्टी, पत्थर और बाँस का सुंदर संयोजन।
“अगर घर प्रकृति के साथ बने, तो वहाँ हर सांस सुकून देती है।”
इस घर ने यह साबित कर दिया कि आधुनिकता का मतलब पेड़ों की बलि नहीं, बल्कि प्रकृति से दोस्ती भी हो सकती है। इस तरह के निर्माण न सिर्फ़ पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए भी वरदान हैं।
हम क्या सीख सकते हैं?
1. सस्टेनेबिलिटी कोई विकल्प नहीं, आवश्यकता है।
2. प्राकृतिक संसाधनों के साथ जीना भी एक कला है।
3. हमारे छोटे-छोटे कदम भी धरती को बचा सकते हैं।
अंत में एक सवाल:
“आप अपने सपनों का घर कैसे बनाएँगे – पेड़ों को काटकर या उनके साथ.?”

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