5 April 2022
कलेक्टर संदीप जीआर ने कहा कि नरवाई जलाने से भूमि की जल धारण क्षमता भी कम होती है और आगामी उपज की कम होने की संभावना होती है। साथ ही नरवाई जलाने के दरम्यान हवा का प्रवाह होने से क्षेत्र में प्रदूषण होने की आशंका बढ़ती है तो स्थायी या अस्थायी परिसंपत्तियों का नुकसान होने के साथ जानमाल की क्षति होने की संभावना बनी रहती है।
कलेक्टर ने कहा है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा 2500 रुपये से 15 हजार तक का दंड तय किया है। अतः किसान नरवाई जलाने से बचें। यह आदेश किसानों के हित में जारी किया गया है। आदेश का उल्लंघन करने पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हुआ है।
दरअसल फसलों के अवशेष जलाने से वायु प्रदुषण ही नहीं होता बल्कि मृदा का तापमान बढ़ जाता है, जिससे मृदा की संरचना बिगड़ जाती है। जीवाष्म पदार्थ की मात्रा कम हो जाने से मृदा की उत्पादकता कम होने का खतरा होता है। फसल जलाने से उस पर आश्रित कीट की मौत हो जाती है। जिससे मित्र कीट और शत्रु का अनुपात बिगड़ जाता है, फलस्वरूप पौधों को कीट प्रकोप से बचाने के लिए मजबूरन महंगे तथा जहरीले कीटनाशकों का इस्तेमाल करना पड़ता है, जिसका दुष्प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर देखा जा रहा है।
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