Dwarka Mega Demolition: देवभूमि द्वारका में लगातार तीसरे दिन प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई जारी रही। सोमवार सुबह से ही सरकारी जमीन पर बने अवैध ढांचों और धार्मिक अतिक्रमणों को हटाने के लिए तंत्र सक्रिय रहा। खासतौर पर ओखा के हटीला हनुमान रोड पर धार्मिक अतिक्रमण हटाए गए। इसके अलावा अन्य अवैध कब्जों पर भी कार्रवाई की गई।
बेट द्वारका में मेगा डिमोलिशन के कारण यात्रियों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। द्वारका में प्रवेश रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए गए हैं। हालांकि, मंदिर में पूजा-अर्चना का कार्यक्रम नियमित रूप से जारी है।
रविवार को भी प्रशासन ने 50 से अधिक अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की थी। कार्रवाई के दौरान मरीन पुलिस ने नावों के जरिए क्षेत्र में लगातार पेट्रोलिंग की।
12,400 मीटर जमीन हुई खाली, 6.53 करोड़ की कीमत
शनिवार (11 जनवरी) सुबह से ही अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई। बेत द्वारका के पास बालापर क्षेत्र में 250 लोगों को नोटिस देने के बाद यह अभियान शुरू हुआ।
हटाए गए अतिक्रमण: 76 अवैध ढांचे
खाली की गई जमीन: 12,400 मीटर
जमीन की कीमत: 6.53 करोड़ रुपये
कार्रवाई के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस ने हाई अलर्ट जारी किया। जिला पुलिस अधीक्षक नितेश पांडे की निगरानी में पूरे क्षेत्र में कड़ा सुरक्षा प्रबंध किया गया। खंभालिया के डीवाईएसपी सागर राठौड़ और हार्दिक प्रजापति के नेतृत्व में एसआरपी, महिला पुलिस और अन्य बलों सहित कुल 1,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया।
कानूनी प्रक्रिया के बाद कार्रवाई
देवभूमि द्वारका जिले में इससे पहले भी सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन ने सर्वे और नोटिस जारी किए थे। जब नोटिस की अवधि समाप्त हो गई, तो द्वारका के प्रांत अधिकारी अमोल आप्टे और उनकी टीम ने जिला पुलिस के साथ मिलकर अवैध धार्मिक, आवासीय और व्यावसायिक ढांचों को हटाने का प्लान तैयार किया।
पिछले साल भी चला था अभियान
एक साल पहले भी द्वारका में मेगा डिमोलिशन अभियान चलाया गया था। हालांकि, इसके बाद फिर से कई जगहों पर अतिक्रमण कर लिया गया। जैसे ही प्रशासन को इसकी जानकारी मिली, अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई दोबारा शुरू की गई।
वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध
इस बार की कार्रवाई में किसी नई सूचना तक द्वारका क्षेत्र में निजी वाहनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।
द्वारका में अतिक्रमण हटाने की यह कार्रवाई प्रशासन की सख्त नीति को दर्शाती है। धार्मिक और अवैध ढांचों को हटाकर सरकारी जमीन को खाली करने का यह कदम आगे के विकास कार्यों के लिए रास्ता साफ करेगा।
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