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“औरंगजेब की कब्र पर शौचालय बना दो”—गीतकार मनोज मुंतशिर का विवादित बयान, देश में छिड़ी नई बहस

महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को हटाने की उठी मांग, मनोज मुंतशिर ने दी चौंकाने वाली प्रतिक्रिया

महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में स्थित मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे पर अब गीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कब्र को हटाने के बजाय सरकार से अपील की है कि उसके ऊपर शौचालय बना दिया जाए। उनके इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई बहस को जन्म दे दिया है।

“औरंगजेब की कब्र नहीं हटनी चाहिए, बल्कि उसके ऊपर शौचालय बना देना चाहिए”

एक वीडियो संदेश में मनोज मुंतशिर ने कहा कि औरंगजेब की कब्र को मिटाने की जरूरत नहीं, बल्कि इसे एक प्रतीकात्मक स्थल बनाना चाहिए जहां लोग जाकर इतिहास के पन्नों को याद करें। उनका तर्क है कि जब हिन्दू समाज ने श्रीराम जन्मभूमि के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी, तब कई कथित सेकुलर लोगों ने सुझाव दिया था कि वहां अस्पताल, स्कूल या अनाथालय बना देना चाहिए। इसी तर्क को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, “अगर अस्पताल बनाने की इतनी ही इच्छा थी, तो क्यों न औरंगजेब की कब्र पर ही बना दें? या फिर वहां एक शौचालय ही बनवा दें, ताकि लोग समझ सकें कि इतिहास के गद्दारों के साथ क्या किया जाना चाहिए।”

“हम सनातनी उसके अवशेष गलाने के लिए नमक और यूरिया दान कर देंगे”

मनोज मुंतशिर ने अपने बयान में औरंगजेब को “हिन्दुओं का हत्यारा” बताते हुए कहा कि सनातनी समाज उनके अवशेषों को मिटाने के लिए यूरिया और नमक भी दान करने के लिए तैयार है। उनका यह बयान न सिर्फ औरंगजेब समर्थकों के लिए चुनौती बना, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी खलबली मचा दी है।

“हमारे बाप का हिन्दुस्तान था, है और रहेगा”

वीडियो में आगे उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, *”कुछ लोग कहेंगे कि यह किसी के बाप का हिन्दुस्तान नहीं है। मैं उन्हें साफ शब्दों में बताना चाहता हूं कि यह *हमारे पूर्वजों का हिन्दुस्तान था, है और हमेशा रहेगा। सूर्यवंशी रक्त में स्वाभिमान कल भी था, आज भी है और सनातन का भगवा आसमान कल भी था और आगे भी रहेगा।”

क्या इतिहास के अपराधियों का महिमामंडन सही है?

यह मुद्दा सिर्फ औरंगजेब की कब्र तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे एक बड़ी बहस खड़ी होती है—क्या देश को ऐसे आक्रांताओं और अत्याचारियों का महिमामंडन करना चाहिए? एक ऐसे शासक की कब्र को संरक्षित रखना, जिसने हजारों मंदिरों को तोड़ा, लाखों हिन्दुओं का नरसंहार किया और छत्रपति संभाजी महाराज जैसे वीरों को अमानवीय यातनाएं दीं—क्या यह हमारे गौरवशाली इतिहास के साथ अन्याय नहीं है?

मनोज मुंतशिर के इस बयान को कुछ लोग “कट्टरपंथी” मान सकते हैं, लेकिन यह भी सच है कि भारत में आज भी ऐसी कई ऐतिहासिक धरोहरें बची हुई हैं, जो हमारे घावों की याद दिलाती हैं। ऐसे में यह सोचना जरूरी है कि इतिहास से सबक लेने के लिए हमें क्या करना चाहिए—उनके प्रतीकों को संरक्षित करना या उन्हें ऐसे स्थानों में बदल देना, जो उनके अपराधों को याद रखने का जरिया बनें?

क्या औरंगजेब की कब्र पर कोई निर्माण होना चाहिए?

मनोज मुंतशिर के बयान ने एक नई बहस को जन्म दिया है। कुछ लोग इसे “कट्टरता” मान सकते हैं, तो कुछ इसे “ऐतिहासिक न्याय”। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत को उन शासकों की कब्रों और स्मारकों की जरूरत है, जिन्होंने इसे लहूलुहान किया था?

मनोज मुंतशिर ने अपनी राय रख दी है, अब सवाल यह है कि क्या सरकार इस पर कोई कदम उठाएगी? क्या औरंगजेब की कब्र पर सच में कोई निर्माण होगा, या फिर यह विवाद महज एक बयानबाजी बनकर रह जाएगा?