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Wednesday, April 16   2:18:27

खूबसूरती के नाम पर खूनी तेल ; तमिलनाडु में ‘Rabbit Blood Hair Oil’ का धंधा, पूरी सच्चाई जानकर हैरान रह जाएंगे आप…..

 “गंजापन दूर करने और बालों को काला, घना बनाने का 100% समाधान” – ये दावा है तमिलनाडु की एक कंपनी का जो ‘रैबिट ब्लड हेयर ऑयल’ यानी खरगोश के खून से बना हेयर ऑयल बेच रही है। सुनने में जितना विचित्र लगता है, हकीकत उससे कहीं ज्यादा डरावनी और परेशान करने वाली है।

ड्रग कंट्रोल विभाग की छापेमारी और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की सक्रियता से यह चौंकाने वाला मामला सामने आया, जिसमें बताया गया कि न सिर्फ यह तेल बनाया जा रहा है, बल्कि तमाम ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर खुलेआम बेचा भी जा रहा है।

कैसे हुआ खुलासा?

5 फरवरी को तमिलनाडु में ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने तीन दुकानों पर रेड की। जांच में मिले तेल के नमूनों में खरगोश के खून की पुष्टि हुई। इसी के साथ एक काली इंडस्ट्री का चेहरा सामने आया, जो न सिर्फ जानवरों के प्रति अमानवीय है, बल्कि कानून का भी खुला उल्लंघन कर रही है।

कंपनियों का तर्क: “ये हमारी परंपरा है”

इस घिनौने कृत्य के बचाव में कंपनियों ने परंपरा और आयुर्वेदिक तर्कों का सहारा लिया। ईरोड के अरुण नायर, जो ‘गरुणा रैबिट हेयर ऑयल’ के निर्माता हैं, कहते हैं, “खरगोश के खून में बायोटिन, सिस्टीन और मेथियोनीन जैसे तत्व पाए जाते हैं जो बालों के लिए जरूरी हैं। यह नुस्खा हमारे पूर्वजों से चला आ रहा है।”

अरुण का दावा है कि उन्हें इस प्रोडक्ट के लिए ISO और GMP सर्टिफिकेट मिले हैं। हालांकि इन दावों की वैधता पर सरकारी संस्थाएं अब तक चुप हैं।

 “हम खून नहीं निकालते, खून वाले कपड़े खरीदते हैं”

कुछ विक्रेता, जैसे सत्या रमेश, यह मानते हैं कि तेल में खरगोश का खून है लेकिन वे खुद खून नहीं निकालते। वे ऐसे लोगों से खून में सने कपड़े खरीदते हैं। मगर यह बात भी साफ है कि खून की इतनी मात्रा सीरिंज से नहीं निकाली जा सकती, इसलिए खरगोशों की हत्या हो रही है।

 कानून क्या कहता है?

PETA इंडिया की कॉर्पोरेट ऑफिसर आशिमा कुकरेजा के अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया अवैध है। “प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट 2001 के तहत जानवरों की हत्या केवल लाइसेंस प्राप्त बूचड़खानों में ही की जा सकती है और वह भी खाने के लिए। कॉस्मेटिक उद्देश्यों के लिए किसी भी पशु की हत्या पूरी तरह गैर-कानूनी है।”

इसके तहत दोषियों को 5 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।

 इंटरनेट पर अब भी बिक रहा ‘खूनी तेल’

मेनका गांधी की शिकायत के बाद यह तेल फ्लिपकार्ट से हटा लिया गया, लेकिन Amazon, Meesho, Snapdeal और सोशल मीडिया पर इसकी बिक्री जारी है। कंपनी के वीडियो यूट्यूब पर हैं, जहां वे ‘100% प्राकृतिक समाधान’ का दावा करते हुए क्रूरता का परोक्ष समर्थन करते हैं।

 नकली तेल बनाने वाले भी सक्रिय

हैदराबाद पुलिस ने सूरत के दो लोगों को नकली ‘रैबिट हेयर ऑयल’ बेचते हुए पकड़ा। वे Shop101 जैसे प्लेटफॉर्म पर नकल करके सस्ते और खतरनाक प्रोडक्ट्स बेच रहे थे। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह न सिर्फ जानवरों के लिए हानिकारक है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ है।

क्या ये ‘तेल’ हमारे समाज का सच है?

हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं जहाँ सुंदरता के नाम पर जानवरों की हत्या को भी ‘परंपरा’ और ‘प्राकृतिक’ कह कर जायज़ ठहराया जा रहा है। यह सिर्फ एक तेल की कहानी नहीं है – यह हमारे समाज की संवेदनहीनता का आईना है।

खरगोश, जिन्हें सबसे मासूम और शांत जानवरों में गिना जाता है, उन्हें सिर्फ हमारे बाल घने हों इसलिए मार देना – ये इंसानियत की हार नहीं तो और क्या है?

हम ई-कॉमर्स कंपनियों से उम्मीद करते हैं कि वे नैतिक जिम्मेदारी निभाएं और ऐसे प्रोडक्ट्स को तुरंत हटा दें। साथ ही, सरकार को चाहिए कि इन पर सख्त कार्रवाई करे, ताकि दोबारा कोई मासूम जानवर इंसानी अंधविश्वास का शिकार न बने।

क्या आप भी जानवरों की इस क्रूरता के खिलाफ हैं?
तो इन उत्पादों को ना खरीदें, सोशल मीडिया पर इनके खिलाफ आवाज उठाएं और crueltyfree.peta.org जैसी साइट्स से सुरक्षित, नैतिक ब्रांड्स की जानकारी लें।