2008 के भयावह मुंबई आतंकी हमले का चेहरा, पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा, आज आखिरकार भारत की गिरफ्त में है। आतंक की साजिश रचने वाले इस मास्टरमाइंड को अमेरिका से एक स्पेशल फ्लाइट में भारत लाया जा रहा है, जो देर रात तक मुंबई लैंड करेगी। उसे कड़ी सुरक्षा के बीच आर्थर रोड जेल में रखा जाएगा।
यह कदम उस वक्त मुमकिन हुआ जब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उसकी प्रत्यर्पण रोकने की याचिका खारिज कर दी। राणा ने याचिका में खुद को पार्किंसन बीमारी से ग्रस्त बताया था और दावा किया था कि भारत में उसके साथ अमानवीय व्यवहार हो सकता है।
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा, एक सेवानिवृत्त पाकिस्तानी सैन्य डॉक्टर और बाद में कनाडा में इमिग्रेशन सर्विस का बिजनेस करने वाला व्यक्ति, 2009 में FBI द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
उसका गुनाह?
लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देना और 26/11 के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली की भारत में रेकी में मदद करना।
वह अमेरिका के लॉस एंजिल्स डिटेंशन सेंटर में बंद था, और अब भारत को सौंपा गया है।
कैसे हुआ साज़िश का पर्दाफाश?
राणा का नाम NIA की 405 पन्नों की चार्जशीट में शामिल है।
हेडली के बचपन के दोस्त राणा ने ही उसे मुंबई में “First World” नाम से फर्जी ऑफिस खोलने में मदद की। यह ऑफिस आतंकियों की गतिविधियों को छुपाने का जरिया बना।
हेडली इसी पहचान के सहारे भारत घूमा, और ताज होटल, CST स्टेशन जैसे टारगेट्स की रेकी की।
अमेरिकी जांच एजेंसियों ने बताया कि राणा ने हेडली के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कराए और वीजा हासिल करने की योजना भी सुझाई।
भारत की ओर से उठाए गए 5 अहम कदम:
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2011 में NIA ने राणा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
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2019 में भारत ने डिप्लोमैटिक चैनल्स से प्रत्यर्पण की मांग की।
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2020 में अस्थायी गिरफ्तारी की अपील की गई।
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2021 में अमेरिकी न्याय विभाग को औपचारिक अनुरोध भेजा गया।
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22 जून 2021 को अमेरिकी अदालत में सबूत पेश किए गए।
मास्टरमाइंड हेडली का साथी
हेडली ने कबूल किया था कि राणा को हर बात की जानकारी थी – वह किससे मिल रहा है, कहां जा रहा है, और किन जगहों की रेकी कर रहा है।
राणा ने आर्थिक मदद, योजना में सहयोग, और फर्जी पहचान देकर इस हमले को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राणा का अतीत – एक डॉक्टर से आतंक के दूत तक
64 वर्षीय तहव्वुर हुसैन राणा, पाकिस्तान की सेना में डॉक्टर था।
1997 में कनाडा पहुंचा, जहां उसने इमिग्रेशन कंसल्टेंसी का कारोबार शुरू किया।
बाद में अमेरिका के शिकागो में भी ऑफिस खोला। वह 7 भाषाएं बोल सकता है, और कई देशों में यात्राएं कर चुका है।
2009 में शिकागो एयरपोर्ट से गिरफ्तार होने के बाद, 2011 में उसे डेनमार्क के अखबार ‘जाइलैंड्स-पोस्टेन’ पर हमले की साजिश में दोषी पाया गया। यही वो अखबार था जिसने पैगंबर मोहम्मद के विवादित कार्टून छापे थे।
जब ट्रम्प ने कहा – “दुनिया के सबसे बुरे लोगों में से एक”
13 फरवरी 2020 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में तहव्वुर राणा का नाम आया था।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने कहा था –
“यह व्यक्ति दुनिया के सबसे बुरे इंसानों में से एक है। भारत को सौंपकर मुझे खुशी हो रही है।”
मोदी ने भी इसके जवाब में ट्रम्प का शुक्रिया अदा किया था।
क्या होगा आगे?
अब भारत में राणा पर मुकदमा चलेगा। NIA पहले ही सबूत इकट्ठा कर चुकी है और उसकी गतिविधियों का विस्तृत विवरण चार्जशीट में मौजूद है।
राणा का प्रत्यर्पण भारत के लिए 26/11 हमलों के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
26/11 को भूले नहीं हैं हम… अब इंसाफ की घड़ी पास है।
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