गुजरात में वाव विधानसभा उपचुनाव ने एक दिलचस्प और रोमांचक मोड़ लिया जब भाजपा के उम्मीदवार स्वरूपजी ठाकोर ने कांग्रेस के गुलाब सिंह राजपूत को 2436 वोटों के मामूली अंतर से हराया। यह जीत भाजपा के लिए विशेष महत्व रखती है क्योंकि 2022 में इसी सीट पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था, और अब ठाकोर ने कांग्रेस के गढ़ को तोड़ते हुए पार्टी की साख को फिर से मजबूत किया है।
आखिरी तीन राउंड में हुई शानदार वापसी
इस चुनाव में प्रारंभिक दौर में भाजपा के प्रत्याशी स्वरूपजी ठाकोर पिछड़ रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे मतगणना के आखिरी राउंड पास आते गए, ठाकोर ने शानदार वापसी की। आखिरी तीन राउंड में जोरदार मुकाबले के बाद उन्होंने कांग्रेस के गुलाब सिंह राजपूत को हराया, जो इस सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार थे। यह परिणाम भाजपा की रणनीति और मतदाताओं के भरोसे का प्रतीक है।
वाव सीट का राजनीतिक महत्व
यह सीट हमेशा से कांग्रेस के पास रही थी, और 2022 के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस की गेनीबेन ठाकोर ने इस सीट पर विजय हासिल की थी। हालांकि, गेनीबेन के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हो गई, जिससे भाजपा को एक सुनहरा अवसर मिला। स्वरूपजी ठाकोर की जीत ने भाजपा को इस महत्वपूर्ण सीट पर सफलता दिलाई, जो कि एक बड़ी राजनीतिक जीत मानी जा रही है।
मतदान और मतदान प्रतिशत
वाव उपचुनाव में कुल 321 मतदान केंद्रों पर 70.54% मतदान दर्ज किया गया। कुल 3,10,681 मतदाताओं में से 2,19,266 ने वोट डाले, जिनमें 1,20,619 पुरुष और 98,647 महिला मतदाता थे। इस चुनाव में मतदान प्रतिशत से भी यह साफ हो गया कि स्थानीय मतदाता इस चुनाव में गहरी रुचि रखते थे और उन्होंने अपना वोट देकर लोकतंत्र में अपनी भूमिका निभाई।
ठाकोर की राजनीतिक यात्रा
स्वरूपजी ठाकोर का राजनीतिक सफर संघर्षों से भरा रहा है। 2022 में उन्होंने इस सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन 15,601 वोटों से हार गए थे। इसके बावजूद, ठाकोर ने हार के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और इस बार उन्होंने वाव सीट पर शानदार जीत हासिल की। इस जीत ने न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष को महत्व दिया, बल्कि भाजपा के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत भी साबित हुई है।
बीजेपी की गुजरात में मजबूत स्थिति
गुजरात विधानसभा में भाजपा ने 182 में से 156 सीटों पर जीत हासिल कर ऐतिहासिक विजय दर्ज की थी। हालांकि, वाव सीट कांग्रेस के पास थी, लेकिन ठाकोर की जीत से यह साफ हो गया कि भाजपा इस राज्य में मजबूत स्थिति में है और भविष्य में पार्टी की पकड़ और भी मजबूत होगी।
वहीं, गुजरात में एक और सीट, जूनागढ़ जिले की विसावदर सीट भी खाली है। इस सीट पर भाजपा के लिए नए समीकरण बन सकते हैं क्योंकि भूपेंद्र भयानी ने हाल ही में भाजपा जॉइन की है। इस सीट पर उपचुनाव की स्थिति फिलहाल हाईकोर्ट के फैसले पर निर्भर है।
भाजपा की रणनीति में बदलाव और आगामी चुनौतियां
ठाकोर की यह जीत भाजपा के लिए एक बडी राजनीतिक रणनीति की सफलता है। हालांकि, भाजपा के पास पहले ही राज्य में मजबूत स्थिति है, लेकिन वाव सीट पर इस जीत ने यह साबित किया कि पार्टी अपने समर्थकों को लेकर सतर्क और सक्रिय है। अगर भाजपा इसी तरह से सक्रिय रहती है, तो आगामी चुनावों में उसके लिए और भी बड़ी जीत की संभावना है।
यह उपचुनाव केवल भाजपा के लिए एक सीट की जीत नहीं, बल्कि पार्टी की नई दिशा और रणनीति का प्रतीक बनकर उभरा है। जहां एक ओर भाजपा अपने प्रचार के तरीकों में बदलाव ला रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष को भी इसे गंभीरता से लेकर अपनी योजनाओं में सुधार करने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
गुजरात जैसे राज्य में भाजपा की जीत राजनीतिक रणनीति के साथ-साथ संगठनात्मक ताकत की भी जीत है। इसके बावजूद, विपक्ष को भी अपनी दिशा और कार्यशैली में सुधार करना होगा, ताकि वे आने वाले चुनावों में भाजपा के खिलाफ मजबूत चुनौती पेश कर सकें।

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