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amethi raybareli

BJP vs Congress: कौन पड़ेगा किस पर भारी, जानें क्या कहता है सीटों का समीकरण

BJP vs Congress: देश में Loksabha Election 2024 के दो चरणों के मतदान पूरे हो चुके हैं। तीसरे चरण के मतदान को लेकर राजनीति अपने जोरों पर है। सभी पार्टियों के प्रत्याशी लगातार नामांकन भर रहे हैं वहीं राजनीतिक गलियारों में आरोपों का दौर भी चालू है। ऐसे में उत्तर प्रदेश की मोस्ट हॉट सीट रायबरेली और अमेठी अभी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। हर किसी की आंखे इस बार इन दो सीटों पर ही टीकी हुई है।

अमेठी की जंग लड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा है वहीं कांग्रेस (Congress)ने सोनिया गांधी के सांसद प्रतिनिधि रहे किशोरी लाल शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है। केएल शर्मा लंबे वक्त तक कांग्रेस के चुनाव मैनेजमेंट से जुड़े रहे हैं। इसलिए यह सीट केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के लिए मजबूत चुनौती हो सकती है।

अमेठी लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास (Amethi Lok Sabha)

अमेठी हॉट सीट हमेशा से ही गांधी परिवार का गढ़ मानी जाती है। 1998 के बाद ऐसा पहली दफा है कि अमेठी सीट से गांधी परिवार का कोई शख्स इस बार मैदान में नहीं उतरा है। इस सीट से आखिरी बाद 1998 में सतीश शर्मा (Satish Sharma) ने चुनाव लड़ा था। उन्होंने संजय सिंह ने करारी शिकस्त दी थी। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में इस पर राहुल गांधी ने जीत हासिल की और 2019 तक वे सीट से सांसद रहे। इसके बाद भी 2019 के चुनाव में चौथी बार अमेठी सीट से मैदान में उतरने के बाद उनका मुकाबला भाजपा की स्मृति ईरानी से हुआ। जिसमें भाजपा को कामयाबी मिली थी। 2019 के चुनाव में राहुल गांधी को 4 लाख 13 हजार 394 वोट मिले थे वहीं स्मृति ईरानी ने 4 लाख 68 हजार 514 वोट हासिल किए थे।

कांग्रेस को क्यों है केएल शर्मा पर भरोसा

कांग्रेस की ओर से इस बार अमेठी लोकसभा सीट के लिए किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतारा गया है। उनके संबंध गांधी परिवार के साथ लंबे समय से हैं। वह रायबरेमी में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के प्रतिनिधि रह चुके हैं। उन्हें चुनावी मैनेजमेंट का अच्छा खासा ज्ञान है। कांग्रेस के सामने अमेठी अभी बहुत बड़ा चैलेंज हैं। उन्हें अपने खोए हुए गढ़ को वापस हासिल करना है। इसलिए कांग्रेस ने इस सीट से अपना ट्रंप कार्ड खेला है। पंजाब के लुधियाना से आने वाले किशोरी लाल ने 1983 में यूथ कांग्रेस के साथ अपना सियासी सफर शुरू किया था। उस दौरन उनकी राजीव गांधी से करीबियां भी बढ़ गई थी। उनके साथ वे हमेशा ही अमेठी और रायबरेली का दौरा करते रहते थे। राजीव गांधी के निधन के बाद वे गांधी परिवार के सदस्य जैसे हो गए।

रायबरेली लोकसभा सीट (Raebareli Lok Sabha)

यूपी की रायबरेली लोकसभा सीट से कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं भाजपा की ओर से कांग्रेस नेता का सामना करने के लिए दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा गया है। अमेठी की तरह यह भी गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है। मौजूदा वक्त में सोनिया गांधी यहां से सांसद हैं। इस सीट पर भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह पर अपना भरोसा जताया है।

भाजपा की उम्मीद दिनेश प्रताप सिंह

दिनेश प्रताप सिंह की कहानी भाजपा में 2018 से शुरू होती है जब उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा का हाथ थामा था। इसके अगले साल ही भाजपा ने लोकसभा में उन्हें उतार दिया। 2019 में इसी सीट से दिनेश प्रताप सिंह ने सोनिया गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन सोनिया गांधी 1 लाख 67 हजार 178 मतो के साथ जीत गई। फिलहाल एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह राज्य की योगी सरकार में राज्य मंत्री हैं।

दरअसल रायबरेली की सियासत में पंचवटी का बोलबाला है। दिनेश प्रताप सिंह का घर पंचवटी के नाम प्रख्यात है। गुनावर कमंगलपुर से आने वाले दिनेश प्रताप सिंह के परिवार का राजनीति में अच्छा खास वर्चस्व है। उनके घर पर ही ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष, एमएलसी और विधायक रह चुके हैं।

उनका राजनीति वरचस्व केवल भाजपा ही नहीं कांग्रेस में भी खूब था। एक वक्त था जब वे सोनिया गांधी के करीबी माने जाते थे। यहीं वजह थी कि 2010 में दिनेश प्रताप सिंह पहली बार और 2016 में दूसरी दफा कांग्रेस से एमएलसी बने थे। लेकिन कुछ आपसी खटपटों के बाद वे 2018 में कांग्रेस छोड़ भाजपा के साथ आ गए। 2022 में भाजपा की टिकट पर एमएलसी का चुनाव जीता और योगी सरकार के मंत्री बने।