दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर आरोप लगाया कि उनके विधायकों और उम्मीदवारों को 15-15 करोड़ रुपये का ऑफर देकर खरीदने की कोशिश की जा रही है। इस आरोप के बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मामले की जांच के आदेश दिए, जिसके तहत एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम केजरीवाल के आवास पर पहुंची और करीब डेढ़ घंटे तक जांच की।
केजरीवाल के आरोपों की पृष्ठभूमि
केजरीवाल ने 6 फरवरी को तीन एग्जिट पोल के नतीजे आने के बाद यह आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा उनके 16 उम्मीदवारों को फोन कर मंत्री पद और 15-15 करोड़ रुपये देने का लालच दे रही है।
“अगर भाजपा को एग्जिट पोल में 55 से ज्यादा सीटें मिल रही हैं तो उन्हें हमारे उम्मीदवारों को फोन करने की जरूरत क्यों पड़ी? यह साफ दर्शाता है कि माहौल बनाने के लिए फर्जी सर्वे कराए गए,” केजरीवाल ने कहा। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनका एक भी उम्मीदवार भाजपा के प्रलोभनों के सामने नहीं झुकेगा।
ACB की जांच और कानूनी नोटिस
ACB की टीम ने केजरीवाल के घर पहुंचकर जांच की और उन्हें कानूनी नोटिस भी दिया। इस दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह भी वकीलों की टीम के साथ वहां पहुंचे। संजय सिंह ने ACB की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह बिना पूर्व नोटिस के की गई है। उन्होंने इसे भाजपा के दबाव में उठाया गया कदम बताया।
मुकेश अहलावत का खुलासा
दिल्ली सरकार के मंत्री और सुल्तानपुर मजरा से उम्मीदवार मुकेश अहलावत ने भी दावा किया कि उन्हें एक व्यक्ति ने फोन कर भाजपा में शामिल होने के बदले 15 करोड़ रुपये और मंत्री पद की पेशकश की। अहलावत ने वह नंबर सोशल मीडिया पर साझा कर दिया और कहा, “मैं मरते दम तक आम आदमी पार्टी नहीं छोड़ूंगा।”
भाजपा का पक्ष और एग्जिट पोल के नतीजे
भाजपा ने इन आरोपों को खारिज किया और उपराज्यपाल से मामले की जांच की मांग की। 14 एग्जिट पोल में से 12 ने भाजपा को दिल्ली में बहुमत मिलने का दावा किया है। पोल ऑफ पोल्स के मुताबिक भाजपा को 41, AAP को 28 और कांग्रेस को 1 सीट मिलने का अनुमान है।
यह राजनीतिक घटनाक्रम लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है। चुनावी माहौल में इस प्रकार की खरीद-फरोख्त के आरोप जनता के विश्वास को कमजोर करते हैं। अगर केजरीवाल के आरोप सही हैं, तो यह भारतीय राजनीति के लिए एक गंभीर चेतावनी है। वहीं, अगर यह आरोप केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं, तो इससे राजनीतिक शुचिता को नुकसान होगा। ACB को निष्पक्ष जांच कर सच्चाई सामने लानी चाहिए।
दिल्ली की जनता को भी इस घटनाक्रम को गंभीरता से लेना चाहिए और अपने वोट की ताकत से स्वच्छ राजनीति को समर्थन देना चाहिए। आने वाले नतीजे बताएंगे कि दिल्ली की जनता ने किस पर विश्वास किया है, लेकिन यह घटना निश्चित रूप से लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए आत्ममंथन का विषय है।
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