CATEGORIES

September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
Monday, September 16   8:26:58

Savitribai Phule Jayanti 2024: भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जिंदगी से जुड़े रोचक तथ्य

भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में सावित्री बाई फूले का नाम सम्मान और प्रेरणा की एक तस्वीर है। उन्होंने न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में अपना अद्भुत योगदान दिया, बल्कि महिलाओं को जागरूक करने का मार्ग भी प्रदर्शित किया। इस लेख में, हम सावित्रीबाई फुले की जन्म जयंती पर उनके योगदान की महत्वपूर्ण बातें जानेंगे।

सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवन में शिक्षा को एक प्रमुख मुद्दा बनाया और उन्होंने इसे बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने 1852 में भारतीय समाज में पहली बार गर्भवती महिलाओं के लिए स्कूल की स्थापना की जिसका नाम ‘वीर शिवाजी शिक्षण मंदिर’ रखा गया। इससे महिलाओं को शिक्षा का अधिकार प्राप्त हुआ और उन्हें समाज में समानता का मौका मिला। सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 में सतारा ज़िले के निपाणी नामक गाँव में हुआ था, जो महाराष्ट्र में स्थित है।

सावित्रीबाई फुले को उनकी शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा, क्योंकि उस समय भारतीय समाज में अनुसूचित जातियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए सामाजिक रूप से बाधित किया जाता था। फिर भी, उनके पिताजी रामजी माल्गुजार फुले ने उन्हें ग्रामीण पाठशाला में पढ़ाई करने का मौका दिया। यहां उन्होंने मराठी, उर्दू, संस्कृत, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, और समाजशास्त्र आदि के विषयों में शिक्षा प्राप्त की।

बाद में, उन्होंने पुणे के भीमराव फुले द्वारा स्थापित की गई “पुणे ग्रंथपेठ” में भी अध्ययन किया। इसके बाद, सावित्रीबाई ने पुरुषों और महिलाओं के बीच शिक्षा में समानता की अभिवादना की और उन्होंने अपने जीवन को भारतीय समाज में समाजसेवा और शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित करने का संकल्प लिया।

महिला समर्पण

सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर महिलाओं के लिए समर्पित एक संगठन, “महिला सत्याग्रह सभा,” की स्थापना की। इस संगठन के माध्यम से उन्होंने महिलाओं को जागरूक किया और उन्हें समाज में समर्पित नागरिकों बनाने के लिए काम किया। उन्होंने विवाह निर्मूलन, बाल विवाह, और अंधविशेषता के खिलाफ भी अपनी आवाज़ बुलंद की।

सावित्रीबाई फुले ने ब्राह्मण-क्षत्रिय-वैश्य-शूद्र वर्गों के समाज में समर्पण का सिद्धांत प्रोत्साहित किया और उन्होंने समाज को समर्पित बनाने के लिए कड़े प्रयास किए। उन्होंने उन लोगों को शिक्षित बनाने के लिए बढ़ावा दिया जो सामाजिक रूप से पिछड़े हुए थे।

सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवन में निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य किया और उन्होंने भारतीय समाज में सुधार लाने के लिए अपने पूरे जीवन को समर्पित किया। उनके समर्थन और मार्गदर्शन से लाखों महिलाएं और समाजसेवी उनकी आदर्श शैली से प्रेरित हुईं।

सावित्रीबाई फुले की जयंती पर, हमें उनके योगदान को समर्थन करना चाहिए और उनकी आदर्श शैली को आगे बढ़ाने का संकल्प करना चाहिए। उनकी प्रेरणा हमें यह सिखाती है कि शिक्षा महत्वपूर्ण है और समाज में समर्पण से ही सफलता मिलती है।