दिल्ली में महागठबंधन का महासंग्राम: तेजस्वी, राहुल और खरगे के बीच सीटों का समीकरण, कांग्रेस दिखा रही तेवर
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी हलचल तेज हो चुकी है। जहां एक ओर एनडीए ने हाल ही में पटना और दरभंगा में रणनीति तैयार करने के लिए ताकत झोंकी, वहीं अब महागठबंधन के प्रमुख दल—राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस—नई दिल्ली में आमने-सामने हैं। बैठक के केंद्र में है सीट शेयरिंग, मुख्यमंत्री चेहरा, और बिहार में राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कवायद।
सीट शेयरिंग पर गरमाई राजनीति
बैठक में नेता प्रतिपक्ष और लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से बातचीत कर रहे हैं। उनके साथ RJD के वरिष्ठ नेता भी मौजूद हैं।
RJD सांसद मनोज झा ने कहा, “यह एक औपचारिक बैठक है, लेकिन गंभीर मुद्दों पर चर्चा जरूरी है। महागठबंधन पूरी तरह तैयार है।”
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस एक बार फिर 70 सीटों की मांग कर रही है, जबकि 2020 में उसे महज 19 सीटों पर जीत मिली थी। उधर, वामपंथी दल भी अपने प्रदर्शन के आधार पर अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं।
RJD की दो टूक – ‘150 से कम सीटें नहीं’
RJD किसी भी सूरत में 150 से कम सीटों पर समझौता करने के मूड में नहीं है। पिछली बार सबसे ज्यादा विधायकों के जीतने के चलते RJD अब सत्ता की कुर्सी तक सीधा रास्ता चाहता है। तेजस्वी पहले ही मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किए जा चुके हैं, ऐसे में RJD बैठक में इस मुद्दे को अब और स्पष्ट करना चाहता है ताकि चुनाव से पहले कोई मतभेद न उभरे।
कांग्रेस के बदले तेवर
कांग्रेस इस बार पुराने ढर्रे पर नहीं चल रही। प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव कर राजेश कुमार को नियुक्त किया गया, जो दलित समाज से आते हैं। जिलाध्यक्षों में भी बड़ा फेरबदल किया गया है।
कन्हैया कुमार के नेतृत्व में निकाली गई पदयात्रा और राहुल गांधी की भागीदारी ने यह जता दिया है कि कांग्रेस अब सिर्फ गठबंधन में शामिल रहने वाली पार्टी नहीं बल्कि बिहार में जमीन तलाशने वाली शक्ति बनना चाहती है।
2025 के बिहार चुनाव सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि अस्तित्व की लड़ाई हैं—महागठबंधन के लिए भी और एनडीए के लिए भी। दिल्ली में हो रही यह बैठक ना केवल सीटों का गणित सुलझाएगी, बल्कि गठबंधन के भविष्य की दिशा भी तय करेगी। कांग्रेस के नए तेवर, RJD का स्पष्ट स्टैंड और वाम दलों की मांगें इस बार चुनावी समर को और रोचक बनाने वाली हैं। ऐसे में सवाल उठता है—क्या महागठबंधन एकजुट रह पाएगा या फिर फिर से दोहराया जाएगा बिखराव का इतिहास?
बिहार की जनता के लिए ये चुनाव सिर्फ़ विकास या जातीय समीकरण का सवाल नहीं, बल्कि भरोसे और नेतृत्व की परीक्षा भी है। देखते हैं, 2025 किसके नाम होता है।

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