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BIG NEWS : कौन हैं वडोदरा की वीरांगना लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी, जिन्होंने ‘Operation Sindoor’ से हिलाया विश्व!

भारतीय सेना की जांबाज महिला अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत कार्रवाई को दुनिया के सामने रखा, बल्कि नारी शक्ति और हिंदू-मुस्लिम एकता का भी शक्तिशाली संदेश दिया। 7 मई 2025 को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के नौ आतंकी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक की जानकारी देने के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी, वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस ने न केवल भारत की सैन्य ताकत को प्रदर्शित किया, बल्कि देश की एकता और महिलाओं के सशक्तिकरण को भी रेखांकित किया।

कौन हैं लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी?

35 वर्षीय सोफिया कुरैशी भारतीय सेना के सिग्नल कोर में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर तैनात हैं। गुजरात के वडोदरा की निवासी सोफिया ने बायोकेमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री हासिल की है। मात्र 17 वर्ष की उम्र में, 1999 में, उन्होंने शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत भारतीय सेना में कदम रखा। सेना में उनकी यात्रा प्रेरणादायक है, क्योंकि उनके दादा भी भारतीय सेना में सेवारत थे, और उनके पति वर्तमान में मेकेनाइज्ड इन्फेंट्री में आर्मी ऑफिसर हैं। यह सैन्य परंपरा उनकी रगों में दौड़ती है, जो उनकी निष्ठा और समर्पण में स्पष्ट रूप से झलकती है।

‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में रचा इतिहास

सोफिया कुरैशी ने मार्च 2016 में इतिहास रचते हुए बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व किया। यह अब तक का सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास था, जिसमें ASEAN (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन) के सदस्य देशों के साथ-साथ भारत, जापान, चीन, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, कोरिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने भाग लिया। पुणे में आयोजित इस अभ्यास में सोफिया पहली महिला अधिकारी बनीं, जिन्होंने इस स्तर पर नेतृत्व किया। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका को मजबूत किया, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की सैन्य क्षमता को भी प्रदर्शित किया।

विंग कमांडर व्योमका सिंह: भारतीय वायुसेना की एक वीर हेलिकॉप्टर पायलट
विंग कमांडर व्योमका सिंह भारतीय वायुसेना में एक प्रतिष्ठित हेलिकॉप्टर पायलट के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं। 18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायुसेना में शामिल हुईं विंग कमांडर व्योमका सिंह को वर्तमान समय के बेहतरीन विंग कमांडरों में से एक माना जाता है। उनके पास लड़ाकू हेलिकॉप्टर उड़ाने का व्यापक और उत्कृष्ट अनुभव है।

इसके अतिरिक्त, विंग कमांडर व्योमका सिंह चीता और चेतक जैसे महत्वपूर्ण लड़ाकू हेलिकॉप्टरों को उड़ाने में भी कुशल हैं। वायुसेना में शामिल होने के 13 साल बाद, उन्हें विंग कमांडर का प्रतिष्ठित पद मिला, और उन्होंने 18 दिसंबर 2017 को यह पदभार ग्रहण किया। वर्तमान में उनके पास 2,500 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव है, जो उन्हें इस क्षेत्र में सबसे सक्षम अधिकारियों में से एक बनाता है।

विंग कमांडर व्योमका सिंह को 18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायुसेना में कमीशन प्राप्त हुआ था। उन्होंने 21वें एसएससी (महिला) फ्लाइंग पायलट कोर्स के तहत गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया था। यह शॉर्ट सर्विस कमीशन कोर्स विशेष रूप से महिला अधिकारियों के लिए ही डिज़ाइन किया गया है, जो उन्हें वायुसेना में एक विशिष्ट भूमिका निभाने के लिए तैयार करता है।

व्योमका सिंह ने कई चुनौतीपूर्ण बचाव अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहां उनकी कुशलता और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता ने कई जिंदगियां बचाने में मदद की है। उनकी ऑपरेशनल भूमिका के अलावा, विंग कमांडर व्योमका सिंह ने उच्च सहनशक्ति वाले मिशनों में भी सक्रिय रूप से भाग लिया है। 2021 में, उन्होंने 21,650 फीट की ऊंचाई पर स्थित माउंट मणिरांग पर आयोजित त्रि-सेवाओं के महिला पर्वतारोहण अभियान में भी हिस्सा लिया था। इस साहसिक प्रयास को वायुसेना प्रमुख सहित कई वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों द्वारा सराहा और मान्यता दी गई थी।

संक्षेप में, विंग कमांडर व्योमका सिंह भारतीय वायुसेना की एक समर्पित और कुशल अधिकारी हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा, अनुभव और अटूट समर्पण से वायुसेना में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। उनकी बहादुरी और पेशेवरता उन्हें न केवल उनकी सहकर्मियों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बनाती है।

ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ करारा जवाब

‘ऑपरेशन सिंदूर’ 7 मई 2025 को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा शुरू किया गया एक ऐतिहासिक सैन्य अभियान था। यह अभियान 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था, और भारत ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाते हुए यह कार्रवाई की। ऑपरेशन के तहत भारतीय वायुसेना ने बहावलपुर, मुरीदके, कोटली और मुजफ्फराबाद सहित नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। यह कार्रवाई इतनी सटीक थी कि किसी भी नागरिक क्षेत्र या पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया। भारतीय सेना ने स्पष्ट किया कि यह अभियान केवल आतंकी नेटवर्क को खत्म करने के लिए था।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा, “नमस्कार देवियों और सज्जनों, मैं कर्नल सोफिया कुरैशी हूँ और मेरे साथ विंग कमांडर व्योमिका सिंह हैं। 6 से 7 मई 2025 की रात 1:05 बजे से 1:30 बजे के बीच भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। यह पहलगाम हमले के जवाब में न्याय सुनिश्चित करने की हमारी प्रतिबद्धता का हिस्सा है।” उनकी यह बेबाक और आत्मविश्वास भरी प्रस्तुति ने न केवल ऑपरेशन की सफलता को रेखांकित किया, बल्कि भारत की एकजुटता को भी दुनिया के सामने पेश किया।

नारी शक्ति और हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश

ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग के लिए दो महिला अधिकारियों को चुनना भारत का एक रणनीतिक और प्रतीकात्मक कदम था। कर्नल सोफिया कुरैशी, जो एक मुस्लिम हैं, और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के माध्यम से भारत ने नारी शक्ति के साथ-साथ हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दिया। यह कदम उन लोगों के लिए करारा जवाब था, जो भारत में सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा देना चाहते हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने उनकी इस भूमिका की जमकर सराहना की। एक यूजर ने लिखा, “सोफिया कुरैशी ने न केवल सेना की ताकत दिखाई, बल्कि यह भी साबित किया कि भारत में धर्म से ऊपर देशभक्ति है।”

वैश्विक मंच पर भारत की छवि

सोफिया कुरैशी की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को और मजबूत किया। उनकी स्पष्टता, आत्मविश्वास और पेशेवर रवैये ने न केवल ऑपरेशन की तकनीकी जानकारी दी, बल्कि भारत की सैन्य और नैतिक ताकत को भी रेखांकित किया। यह पहली बार नहीं है जब सोफिया ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व किया हो। ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ के दौरान भी उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता से दुनिया को प्रभावित किया था।

प्रेरणा की मिसाल

लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी न केवल एक सैन्य अधिकारी हैं, बल्कि लाखों युवाओं, खासकर महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं। उनकी कहानी साहस, समर्पण और देशभक्ति की मिसाल है। चाहे वहएक्सरसाइज फोर्स 18 में नेतृत्व करना हो या ऑपरेशन सिंदूर की कहानी दुनिया को बताना, सोफिया ने हर बार साबित किया कि नारी शक्ति असीम है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ न केवल भारत की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का प्रतीक है, बल्कि यह लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी जैसे साहसी अधिकारियों की कहानी भी है। उनकी नेतृत्व क्षमता, देश के प्रति समर्पण और वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने की कला ने उन्हें एक राष्ट्रीय नायिका बना दिया है। सोफिया कुरैशी की यह यात्रा हर भारतीय को गर्व महसूस कराती है और यह साबित करती है कि जब बात देश की सुरक्षा और सम्मान की आती है, तो भारत एकजुट होकर हर चुनौती का सामना करता है।

जय हिंद!