गुजरात के वडोदरा में साफ सफाई के नाम पर कोंट्रक्ट्रर की बड़ी धांधली सामने आई है, जिससे वड़ोदरा महानगरपालिका की फिर एक बार जमकर किरकिरी हुई है।
VNM TV पर आज सुबह अहमदाबाद के सफाई कर्मचारी वड़ोदरा में सफाई कर रहे हैं यह खबर आपने जरूर देखी होगी, लेकिन कुछ ही घंटे में उन सफाई कर्मचारियों की जो हकीकत सामने आई, वह किसी को भी चौंका कर रख दे ऐसी है। वडोदरा कॉर्पोरेशन में नियमित सरकारी नौकरी का लालच देकर करीबन 150 से 200 युवकों को अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के जैकेट पहनाकर वडोदरा में सफाई करवाई जा रही थी,जो पोल अचानक उजागर हुई, और वडोदरा महानगरपालिका फिर एक बार सवालों के घेरे में आ गई।
दरअसल देश में बेरोजगारी से इनकार करने वाली सरकार के नुमाइंदे किस तरह देश की जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हैं उसका यह उम्दा नमूना है। वडोदरा के आजवा रोड पर रहने वाले यह युवा निजी कंपनियों में काम करते हैं उन्हें वडोदरा कॉर्पोरेशन में काम देने की लालच देकर 500रुपयों में यहां काम पर रखा गया था, जबकि कॉरपोरेशन की ओर से उन्हें तीन हजार रुपए दिए जा रहे हैं। अगर 3000 रुपए दिए जा रहे हैं और उन्हें 500 रुपए ही मिल रहे हैं तो बाकी के 2500 रुपए कहां जा रहे हैं उस पर एक बड़ा सवालिया निशान है। जिसका पर्दाफाश सामाजिक कार्यकर्ता स्वेजल व्यास ने किया है।
जब VNM टीम ने मामले की पड़ताल करनी चाही तो पता चला कि अहमदाबाद से बस लेकर सिर्फ चार कर्मचारी वड़ोदरा में खाना बांटने के लिए आए हुए हैं। हो सकता है की यह गड़बड़ी कोंट्रकटर की ओर से की गई हो कि कॉन्ट्रैक्ट लेकर वडोदरा से युवकों को अहमदाबाद कॉरपोरेशन की जैकेट पहना कर काम पर लगा दिया,जिस पर सवाल उठना लाजमी था।
इस मामले जब हमने कांट्रेक्टर से पूछना चाहा तो शायद जो कांट्रेक्टर था वह तो स्कूटर लेकर भाग ही गया लेकिन उसके साथ जो शख्स था उससे जब बातचीत करनी चाही वह कुछ भी बताने से इनकार करता रहा।
पहले ही वडोदरा में आई बाढ़ से वड़ोदरा महानगरपालिका, वड़ोदरा महानगरपालिका के नेता, अधिकारी और जनप्रतिनिधि सवालों के घेरे में है,लोग उनसे नाराज है और उन्हें अपने इलाकों से खदेड भी रहे हैं और इसी बीच जब ऐसी खबरें आती है तब लोगों को धक्का जरूर पहुंचता है।रोजगारी के नाम पर गरीब युवकों के साथ किया गया यह खिलवाड़ वडोदरा की जनता कैसे माफ कर सकती है??? अब कुछ ज्यादा बुद्धिजीवी लोग यह दलील भी दे सकते हैं कि इसमें कॉरपोरेशन की क्या गलती है यह तो कांट्रेक्टर की गड़बड़ी है, लेकिन सबसे बड़ी कॉर्पोरेशन की कमजोरी ही यही है कि लाखों करोड़ों रुपए के कॉन्ट्रैक्ट दे दिए जाते हैं लेकिन कांट्रेक्टर क्या काम करता है वह देखने कॉरपोरेशन नहीं जाता है और तभी ऐसी अजीबोगरीब घटनाएं सामने आती है। गरीब युवकों को ₹500 देकर ₹2500 पर हेड अपने खाते में करने वाले इस कांट्रेक्टर पर क्या कोई एक्शन होगा?? सवाल बड़ा है जिसका जवाब शायद कोई नहीं देगा।
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