जब कोई संत कहलाने वाला इंसान एक दिन सलाखों के पीछे पहुंचता है, तब सवाल उठते हैं—आस्था पर, समाज पर, और उस ‘सिस्टम’ पर जो आंखों के सामने होते हुए भी सब कुछ अनदेखा करता है। ऐसी ही कहानी है आसाराम की, जो अब जेल में हैं, लेकिन उनका 10,000 करोड़ रुपये का साम्राज्य आज भी मजबूती से खड़ा है।
संत से साम्राज्य निर्माता तक
कभी गुजरात की गलियों में प्रवचन देने वाला ये व्यक्ति धीरे-धीरे देशभर में ‘भगवान का रूप’ मान लिया गया। हजारों की संख्या में भक्त, आश्रम, स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल और ट्रस्ट—आसाराम ने धर्म के नाम पर एक ऐसा ताना-बाना बुना जो करोड़ों की संपत्तियों में तब्दील हो गया।
जेल में बंद, पर साम्राज्य बाहर जिन्दा
भले ही वह सलाखों के पीछे हैं, लेकिन उनकी बेटी, पत्नी और ट्रस्ट के ज़रिये आज भी पूरा नेटवर्क ऑपरेट होता है। भक्तों का कहना है, “लोग हमारा मज़ाक उड़ाते थे, लेकिन हम आज भी उनके प्रवचनों को सुनते हैं। हमारे लिए वो आज भी भगवान हैं।”
भक्तों की आंखों में आंसू, लेकिन ट्रस्ट की आँखें पैसा गिनने में व्यस्त!
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आसाराम के ट्रस्ट के पास अभी भी अरबों की संपत्ति है, जो हर साल बढ़ रही है। भक्तों के चढ़ावे, जमीनों की खरीद-फरोख्त और आश्रमों से होने वाली आय से यह साम्राज्य आज भी सक्रिय है।
सवाल यह नहीं कि आसाराम कौन था, सवाल यह है कि हम इतने वर्षों तक आंखें क्यों मूंदे रहे?

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