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वासंती नवरात्रि की शुरुआत: घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और व्रत के वैज्ञानिक फायदे

आज से वासंती नवरात्रि की शुभ शुरुआत हो चुकी है। हिंदू नववर्ष के साथ प्रारंभ होने वाली यह नवरात्रि आध्यात्मिक और स्वास्थ्य लाभों के लिए जानी जाती है। इस वर्ष तृतीया तिथि के लोप के कारण नवरात्रि केवल 8 दिनों की होगी, और इसका समापन 6 अप्रैल को रामनवमी के दिन होगा।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना का विशेष महत्व है। इस वर्ष घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 6:15 बजे से प्रारंभ हुआ है। पूजा के लिए शुद्ध मिट्टी का पात्र, जौ, कलश, नारियल और आम के पत्ते आवश्यक होते हैं। मां दुर्गा की आराधना के लिए इस दिन व्रत और पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है।

वासंती नवरात्रि का महत्व

चैत्र नवरात्रि को वासंती नवरात्रि भी कहा जाता है क्योंकि यह वसंत ऋतु में आती है। इसे हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन माता के अलग-अलग स्वरूपों की आराधना कर भक्त सुख, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।

नवरात्रि व्रत के वैज्ञानिक फायदे

व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उपवास के दौरान शरीर को भोजन से विराम मिलता है, जिससे पाचन तंत्र को आराम मिलता है। इसके अलावा, शरीर खुद को डिटॉक्स करता है और सेल्स को रिपेयर करने का मौका मिलता है।

जापानी वैज्ञानिक योशिनोरी ओशुमी को ऑटोफेजी प्रक्रिया पर रिसर्च के लिए 2016 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ऑटोफेजी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शरीर अपनी कमजोर कोशिकाओं को खत्म कर नई और स्वस्थ कोशिकाओं का निर्माण करता है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।

अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग के शोधकर्ता मार्क मैटसन ने भी पाया कि उपवास से कोशिकाएं मजबूत होती हैं और शरीर को तनाव से लड़ने की क्षमता मिलती है।

तीन प्रकार के व्रत और उनका महत्व

  1. मानसिक व्रत:
    • काम, क्रोध, लोभ, मोह जैसे नकारात्मक विचारों से दूरी बनाकर मन को शुद्ध किया जाता है।
  2. वाचिक व्रत:
    • केवल सत्य बोलने का संकल्प लिया जाता है और किसी को अपशब्द या कटु वचन नहीं कहा जाता।
  3. कायिक व्रत:
    • किसी भी प्रकार की हिंसा से बचना और ऐसा कोई कार्य न करना जिससे दूसरों को नुकसान पहुंचे।

नवरात्रि जैसे पावन अवसर न केवल धार्मिक आस्था को सुदृढ़ करते हैं, बल्कि यह आत्म-संयम और आत्म-अवलोकन का भी समय होता है। व्रत रखने से शरीर और मन दोनों को शुद्धि मिलती है। इसके अलावा, यह त्यौहार पारिवारिक और सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देता है। हमें इस अवसर पर आत्म-नियंत्रण और सकारात्मक सोच को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए।

इस नवरात्रि, अपने भीतर की शक्ति को पहचानें और आत्मविकास की ओर कदम बढ़ाएं।

शुभ नवरात्रि!