आज के डिजिटल युग में साइबर अपराधी न केवल चतुर हो गए हैं, बल्कि तकनीक का ऐसा दुरुपयोग कर रहे हैं जो हमारी आँखों को भी धोखा दे सकता है। डीपफेक तकनीक के माध्यम से वित्तीय धोखाधड़ी के नए मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें भारत की जानी-मानी हस्तियों के नकली वीडियो बनाकर भोले-भाले लोगों को जाल में फंसाया जा रहा है।
कैसे खेला जा रहा है ये साइबर फ्रॉड?
हाल ही में साइबर विशेषज्ञ नितिन श्रीमाली ने सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे विज्ञापन वीडियो देखे, जिनमें भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक नकली योजना की घोषणा करते हुए दिखाया गया। इस योजना में 21,000 या 50,000 रुपये निवेश करने पर महज 28 दिनों में 1,70,000 रुपये कमाने का वादा किया गया। खास बात ये है कि इसे 31 मार्च तक की सीमित अवधि वाली योजना के रूप में प्रस्तुत किया गया, ताकि लोग जल्दी से जल्दी निवेश करने को मजबूर हो जाएं।
लेकिन ये सब एक जाल है। डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल कर वित्त मंत्री के चेहरे और आवाज़ की हूबहू नकल कर बनाई गई यह वीडियो साइबर क्रिमिनलों की चाल है। इस तकनीक का उपयोग केवल यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, मुकेश अंबानी, गौतम अडानी और सुधा मूर्ति जैसी प्रमुख हस्तियों के नकली वीडियो भी बनाए जा रहे हैं।
डीपफेक वीडियो की पहचान कैसे करें?
डीपफेक वीडियो में चेहरे की हलचल, आँखों की पलकें झपकने की गति और होंठों की हरकत असामान्य हो सकती है। अक्सर आवाज़ और होंठों का तालमेल गड़बड़ होता है, जिससे ये फर्जी वीडियो आसानी से पहचाने जा सकते हैं। इसके अलावा, वीडियो की पिक्सेल क्वालिटी, प्रकाश और छाया का असंगत होना भी डीपफेक की निशानी हो सकती है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
नितिन श्रीमाली के अनुसार, ऐसी अवास्तविक योजनाएं जिनमें जल्दी और भारी मुनाफे का वादा किया जाता है, आमतौर पर धोखाधड़ी होती हैं। लोग लालच में आकर अपनी मेहनत की कमाई गंवा बैठते हैं। डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल केवल वित्तीय धोखाधड़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे राजनीतिक दुष्प्रचार, फर्जी न्यूज़ और ब्लैकमेलिंग जैसे कई गलत कामों में भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
कैसे बचें इस साइबर फ्रॉड से?
- किसी भी आकर्षक ऑफर पर तुरंत विश्वास न करें।
- सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो की विश्वसनीयता की जांच करें।
- संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें।
- अगर किसी वीडियो पर संदेह हो, तो उसे रिपोर्ट करें।
- साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराएं।
डीपफेक तकनीक की बढ़ती चुनौती को देखते हुए जागरूक रहना बेहद जरूरी है। सरकार और टेक कंपनियों को इस समस्या से निपटने के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए। साथ ही, आम जनता को भी अपनी डिजिटल साक्षरता बढ़ानी चाहिए, ताकि वे किसी भी फर्जी वीडियो या साइबर फ्रॉड का शिकार न बनें।
याद रखें, जागरूक नागरिक ही साइबर अपराधियों की सबसे बड़ी बाधा हैं। सतर्क रहें, सुरक्षित रहें!

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