प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY), जिसे आयुष्मान योजना के नाम से भी जाना जाता है, भारत में गरीब और जरूरतमंद नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच प्रदान करने के उद्देश्य से लागू की गई है। हाल ही में अहमदाबाद के ख्याति मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में हुई घटना के बाद यह योजना फिर चर्चा में आ गई।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में अहमदाबाद में इस योजना के तहत रिकॉर्ड 450.40 करोड़ रुपये खर्च किए गए। यह खर्च 2021-22 के 217.80 करोड़ रुपये की तुलना में दोगुने से भी अधिक है।
2021-22 में जहां अहमदाबाद के 74,723 लाभार्थियों पर 217.80 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, वहीं 2022-23 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.49 लाख लाभार्थियों और 450 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसका सीधा मतलब है कि दो वर्षों में लाभार्थियों की संख्या और खर्च में तेज़ी से वृद्धि हुई।
कार्डधारकों की संख्या में वृद्धि
2023-24 में अहमदाबाद में 6.14 लाख नए लाइफटाइम आयुष्मान कार्ड बनाए गए। पूरे गुजरात में इस वर्ष 77.95 लाख नए कार्डधारकों को जोड़ा गया, जो पिछले दो वर्षों की तुलना में काफी अधिक है।
गुजरात में आयुष्मान कार्ड बनने की संख्या:
वर्ष | जीवन कार्ड की संख्या |
---|---|
2021-22 | 45,71,023 |
2022-23 | 53,33,270 |
2023-24 | 77,95,739 |
अन्य जिलों का प्रदर्शन
गुजरात के 15 जिलों में इस योजना के तहत 100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए। सूरत, राजकोट, बनासकांठा, वडोदरा और जूनागढ़ जैसे जिलों में इस योजना का बड़ा प्रभाव देखा गया।
- सूरत: 2021-22 में 51,592 लाभार्थियों पर 172 करोड़ रुपये खर्च हुए। 2023-24 में यह संख्या बढ़कर 94,000 लाभार्थियों और 331 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
- दाहोद: 4.63 लाख नए आयुष्मान कार्ड बनाए गए।
योजना की बढ़ती मांग और चुनौतियां
आयुष्मान योजना के तहत 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों को अब लाभार्थी के रूप में शामिल किया गया है। इससे भविष्य में लाभार्थियों की संख्या और खर्च दोनों बढ़ने की संभावना है। हालांकि, योजना के तहत वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचने और चिकित्सा सेवाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की चुनौती बनी हुई है।
अन्य राज्यों में भी उछाल
गुजरात के साथ ही उत्तर प्रदेश (2.32 करोड़), महाराष्ट्र (1.79 करोड़) और राजस्थान (1.09 करोड़) में भी नए आयुष्मान कार्डधारकों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई है।
आयुष्मान योजना गरीब और जरूरतमंदों के लिए एक वरदान साबित हो रही है। हालांकि, इसके खर्च और प्रभावशीलता की गहन निगरानी आवश्यक है। योजना को सही तरीके से लागू करने से न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि जनता का विश्वास भी बढ़ेगा।
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