मेरे पहले लेख को पढ कर आप ने यह जाना कि ऑटिज्म को मेडिकल भाषा मे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसाडॅर कहते है। यह मस्तिष्क के विकास के समय होने वाला विकार है,जिसमे व्यक्ति सामाजिक व्यवहार और किसी से संपर्क करने मे पीछे रह जाता है।
ऑटिज्म के क्या लक्षण है, और क्या सावधानियां रखनी चाहिए,यह भी जानना जरूरी है।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसाडॅर से प्रभावित हर बच्चे में अलग- अलग लक्षण दिखाई देते हैं। उम्र के आधार पर कई लक्षण ऑटिज्म की ओर संकेत कर सकते हैं। बच्चों में ऑटिज्म के शुरुआती लक्षणों को समझना महत्वपूर्ण हैं।
इस लेख से ऑटिज्म के मुख्य लक्षणों का अवलोकन करके माता-पिता और देखभाल करने वालों को अपने बच्चो के लिए शुरुआती निदान प्राप्त करने में मदद मिलती हैं।
ऑटिज्म के लक्षण-
१. सीमित नेत्र संपर्क, जिसमें बच्चे बातचीत के दौरान ऑखो से संपर्क नहीं कर पाते हैं।
२. सामान्य भाषा विकसित होने मे देर और हमारे समझ के बाहर की वाणी देखी जा सकती हैं।
३. मोटर गतिविधियो का आभाव,जिसमें बच्चा समय अनुसार चलने में सक्षम नहीं होता,वस्तुओं को पकड नहीं पाता।
४. सामाजिक जुड़ाव में कठिनाई, जिसमे बच्चा हाथ हिलाने और ताली बजाने जैसे संकेतो पर प्रतिक्रिया नहीं दिखाते हैं।
५. स्पर्श या पकडना जैसी क्रिया नापसंद करते हैं।
६. स्वाद,गंध और ध्वनियो के प्रति संवेदनशील होते हैं।
ऑटिज्म का पता चलने पर बच्चे की सुरक्षा करने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
१. ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को लंबे समय तक अकेला नहीं छोडना चाहिए।
२. पड़ोसियो, अन्य बच्चो को शिक्षित किया जाना चाहिए कि ऑटिज्म बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।
३. माता-पिता को ऑटिज्म बच्चे के स्वभाव और विचार प्रक्रिया को समझना चाहिए और उसके अनुसार वर्तन करना चाहिए।
ऑटिज्म में सकारात्मक मन से ऑटिस्टिक बच्चों के साथ व्यवहार करने से उनका जीवन खुशीपुर्वक बितेगा।
इन लक्षणों और सावधानियों की जानकारी होने से ऑटिस्टिक बच्चों के साथ सामान्य व्यवहार काफी हद तक आसान हो जाता है।
Good job.
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