पहले के चार लेखो से हमने जाना की ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसाडॅर मस्तिष्क के विकास से संबंधित ऐसी स्थिति हैं, जिसमे बच्चा दूसरो के साथ व्यवहार करने और उनके साथ घुल-मिलने के तरिको मे दिक्कत होती हैं।ऑटिज्म के अलग-अलग लक्षण होते है,इस लिए ऑटिज्म को “स्पेक्ट्रम डिसाडॅर” कहा जाता हैं।
आज कुछ प्रश्नोत्तर को लेकर यह लेख लिखा है,जो कुछ माता-पिता ने पुछे हैं-
१.ऑटिज्म के साथ कौन कौन सी समस्याऍ होती है?
*ऑटिज्म एक डवलपमेंट डिसाडॅर है इस के साथ आमतौर पर यह समस्याए हो सकती है-
– अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिव डिसाडॅर, जिसमें बच्चे का ध्यान एक जगह केन्द्रित नही हो पाता हैं।
-इंसोमेनिया इसमे ठीक तरह से निद नही आती
-लर्निंग डिसेबिलिट मे बच्चो को कठिन विषय को समझ ने में परेशानी होती हैं।
-डिस्लेक्सिया मे अक्षर पहचान ने मे,लिखने मे और पढने मे दिक्कत होती हैं।
– डिस्प्रक्सिया में बच्चो को निर्देश अनुसार काम करने में सक्षम नही हो पाते हैं।
ऑटिज्म में आहार और पोषण का महत्व
२.ऑटिज्म का खतरा सबसे अधिक किनको हो सकता हैं?
*ऑटिज्म के सही कारण का पता नही चला है, मगर- प्रीमैच्योर बच्चे
कम बर्थवेट वाले बच्चे दवाइयो का साइडईफेक्ट
जेनेटिक डिसाडॅर जैसे कारणो से ऑटिज्म का खतरा बड सकता हैं।
बच्चों में ऑटिज्म
३. ऑटिज्म बच्चो की लाइफस्टाइल कैसी होनी चाहिए?
* लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव मददगार साबित हो सकता हैं, जैसे
बच्चो के साथ कम्युनिकेशन आसान बनाओ बच्चो के साथ धीरे और साफ आवाज में बात करो। बात करते समय बच्चे का नाम दोहराए, ताकि उसे ध्यान रहे। बातचीत करते समय हाथो से ईशारो का प्रयोग करे।
२ अप्रैल को दुनियाभर में वल्र्ड ऑटिज्म डे मनाया जाता हैं,इसका उद्देश्य ऑटिज्म के बारे मे जागरूकता पैदा करना हैं।
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