गुजरात के वड़ोदरा शहर से फिर एक बार हिंदू धर्म के श्रद्धालुओं की भावना आहत हो ऐसी तस्वीरें सामने आई है जिस पर सवाल उठना लाजमी है।
हिंदू धर्म में कई धार्मिक त्योहारों को श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है, उन्हीं में से एक त्यौहार है दशा मां का।जिसमें 10-10 दिनों तक उपवास कर महिलाएं और पुरुष मां दशामा की आराधना करते हैं। 10 दिनों तक दशा मां की प्रतिमा की पूजा कर उनका विसर्जन करते हैं और विसर्जन के कई दिनों के बाद अगर इस तरह की तस्वीरें सामने आए तो त्योहारों के सेलिब्रेशन पर भी सवाल उठते हैं।
कुछ दिनों पहले वड़ोदरा में दशा मां के विसर्जन में हुई अंधाधुंधी पूरे शहर ने देखी थी। जहां मुश्किल से दो-तीन छोटे-छोटे कुत्रिम तालाब बनाकर वहां विसर्जन करवाया गया और हाल यह हुआ की प्रतिमाएं सही ढंग से विसर्जित ही नहीं हो पाई,इतना ही नहीं जो विसर्जित हुई भी वह भी अब ऐसी हालत में है कि उन्हें दफनाने की जरूरत पड़ रही है।
वड़ोदरा के वार्ड नंबर 4 के कार्यालय के बाहर गढ्ढा खोद कर इन प्रतिमाओं को गाड़ने की कोशिश हो रही थी, उसी वक्त यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष पवन गुप्ता वहां पहुंच गए और प्रतिमाओं की दुर्दशा पर सवाल उठाएं। प्रतिमाओं के नदी तालाब में विसर्जन के बजाय उन्हें जमीन में गाड़ने पर कई तरह के सवाल उठे।सामाजिक कार्यकर्ता स्वेजल व्यास और यूथ कांग्रेस अध्यक्ष पवन गुप्ता ने इस पर सरकार और वडोदरा महानगरपालिका को खूब खरी खोटी सुनाई है।
यहां एक सवाल उठता है की धर्म और त्योहारों को मनाने की होड़ में हम कहीं भगवान के साथ अन्याय तो नहीं कर रहे हैं?? गणेश उत्सव या कोई भी उत्सव धर्म और आस्था का विषय है लेकिन अब उस आस्था को इतना बड़ा स्वरूप दे दिया गया है कि हजारों की संख्या में गणेश प्रतिमाएं विराजमान होती है।
एक ही गणेश पंडाल में एक से ज्यादा गणेश प्रतिमाएं आपने जरूर देखी होगी, हर घर में गणेश प्रतिमाएं स्थापित होने लगी है?? क्या इतनी सारी गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की जरूरत है?? क्या हम हमारी सोसाइटी में या आसपास रखी गई गणेश प्रतिमा की 10 दिन तक पूजा नहीं कर सकते?? क्या हम हमारे घर में रखे हुए गणेश जी की 10 दिनों तक उसी श्रद्धा के साथ पूजा नहीं कर सकते जिनका विसर्जन करने की जरूरत ही ना पड़े?? तो शायद ऐसी दिल दहलाने वाली और दिल दुखाने वाली तस्वीरे शायद कम हो सकती है।
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