दिल्ली में राजनीति का माहौल फिर से गरमाता हुआ नजर आ रहा है, जहां एक बार फिर आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। ताजा विवाद दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गाड़ी पर हुए हमले को लेकर है। AAP ने दावा किया है कि केजरीवाल की गाड़ी पर कुछ लोगों ने पत्थर फेंके और काले झंडे लहराते हुए उनके पास पहुंचे। इस घटना का वीडियो AAP ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया है, जिसमें कुछ लोग केजरीवाल की गाड़ी के पास पहुंचकर उस पर पत्थर फेंकते हुए नजर आ रहे हैं।
AAP का कहना है कि BJP प्रत्याशी प्रवेश वर्मा के समर्थकों ने जानबूझकर यह हमला किया, ताकि केजरीवाल को चुनाव प्रचार से रोका जा सके। पार्टी ने इसे “कायराना हमला” करार देते हुए कहा कि केजरीवाल इस हमले से डरने वाले नहीं हैं और दिल्ली की जनता इसका जवाब जरूर देगी।
यह पहली बार नहीं है जब केजरीवाल पर ऐसी घटनाएं हुई हों। नवंबर 2024 में दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके में एक शख्स ने केजरीवाल पर पानी फेंका था, जिसके बाद उसके खिलाफ समर्थकों ने कार्रवाई की थी। इसके अलावा 2022 में गुजरात दौरे के दौरान भी किसी ने केजरीवाल पर प्लास्टिक की बोतल फेंकी थी, हालांकि बोतल उनके ऊपर से होकर निकल गई और हमला करने वाले का कोई पता नहीं चल सका।
इस घटना के बाद BJP ने अपनी तरफ से पलटवार किया है। बीजेपी प्रत्याशी प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने वाहन से दो BJP कार्यकर्ताओं को टक्कर मारी, जब वे सवाल पूछने की कोशिश कर रहे थे। वर्मा का कहना था कि दोनों कार्यकर्ताओं को अस्पताल में भर्ती किया गया और इस घटना ने यह साबित कर दिया कि केजरीवाल ने हार के बाद लोगों की जान की कीमत भी नहीं समझी।
केजरीवाल पर इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। 2019 में दिल्ली के मोती नगर में एक युवक ने केजरीवाल को रोड शो के दौरान थप्पड़ मारा था। इससे पहले 2018 में दिल्ली सचिवालय में एक शख्स ने उन पर मिर्ची डालने की कोशिश की थी। 2016 में, जब केजरीवाल की सरकार ने ऑड-इवन योजना का सफलतापूर्वक पहला चरण पूरा किया था, एक महिला ने उन पर स्याही फेंकी थी।
केजरीवाल की राजनीति में ऐसी घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। 2014 में, जब वे दिल्ली चुनाव के दौरान रोड शो कर रहे थे, एक ऑटो रिक्शा चालक ने उन्हें माला पहनाकर थप्पड़ मारा था। 2014 में ही वाराणसी में प्रचार के दौरान उन पर स्याही और अंडे फेंके गए थे।
यह घटनाएं यह दर्शाती हैं कि भारतीय राजनीति में हमले और अपमान का सिलसिला लगातार जारी है। हालांकि, केजरीवाल इस तरह के हमलों से डरने वाले नहीं हैं, और उनका मानना है कि इन हमलों के बावजूद उनका संघर्ष जारी रहेगा।
एक निष्पक्ष दृष्टिकोण से देखा जाए, तो इस तरह की घटनाएं राजनीति में हिंसा और असहमति के बढ़ते स्तर को दर्शाती हैं। राजनीति का उद्देश्य जनता की सेवा होना चाहिए, न कि व्यक्तिगत हमलों और हिंसा का शिकार होना। नेताओं को अपनी विचारधारा और मुद्दों पर बहस करनी चाहिए, न कि एक-दूसरे के खिलाफ हिंसक घटनाओं का सहारा लेना चाहिए।
यह घटनाएं भारतीय राजनीति के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा करती हैं कि हम किस दिशा में बढ़ रहे हैं। जब नेताओं की सुरक्षा तक खतरे में है, तो यह लोकतंत्र की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाता है। इन घटनाओं से यह भी पता चलता है कि चुनावी वातावरण में माहौल को और भी जहरीला बनाने से बचना चाहिए।
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