बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा कर दी है। हाल ही में ढाका में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के नमहट्टा सेंटर को चरमपंथियों द्वारा आग के हवाले कर दिया गया। इस घटना में मंदिर की कई मूर्तियां तोड़ी गईं और सेंटर में रखा कीमती सामान जलकर राख हो गया।
मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के दौरान अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमले तेज हो गए हैं। चरमपंथियों द्वारा लगातार हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है, जिससे न केवल स्थानीय हिंदू समुदाय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के बीच भी आक्रोश बढ़ रहा है।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी से बिगड़े हालात
25 नवंबर को इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उन पर आरोप है कि 31 अक्टूबर को एक रैली के दौरान उन्होंने बांग्लादेशी राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। स्थानीय नेता की शिकायत के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई, जिसने देश में स्थिति और खराब कर दी। हिंदू समुदाय ने इस गिरफ्तारी को अन्यायपूर्ण करार दिया है और इसके खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
ममता बनर्जी का संयुक्त राष्ट्र से अपील
बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमलों को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संयुक्त राष्ट्र से बांग्लादेश में शांति मिशन तैनात करने की अपील की है। उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप ही अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
इन घटनाओं के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बांग्लादेश सरकार पर दबाव बढ़ने की उम्मीद है। इस्कॉन समेत अन्य धार्मिक संगठनों ने हिंसा के खिलाफ कड़ी निंदा की है और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाने की मांग की है।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमले मानवता और सह-अस्तित्व के खिलाफ हैं। ऐसे समय में जब दुनिया शांति और भाईचारे का संदेश देने की कोशिश कर रही है, इस तरह की घटनाएं गंभीर सवाल खड़े करती हैं। जरूरत है कि सरकारें और अंतरराष्ट्रीय संगठन मिलकर इन हमलों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं।
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