कोविड ने हम सब पर एक बहुत ही गहरा असर छोड़ा है। हर किसी को अलग-अलग प्रकार की बीमारियां हो रखी है। लेकिन, सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कोविड के बाद लोगों में हार्ट अटैक के केस बढ़ते नज़र आ रहे हैं।
कोविड के बाद लगातार बढ़ रहे हार्ट अटैक के बीच एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। हालांकि ऐसा बहुत रेयर मामलों में ही होगा। ब्रिटिश हाईकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में कंपनी ने माना है कि उसकी कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है।
एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई है। ब्रिटिश मीडिया टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों की मौत हो गई है। वहीं कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा है। अभी कंपनी के खिलाफ हाईकोर्ट में 51 केस चल रहे हैं। पीड़ितों ने एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है।
हालाँकि इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिसने भी 2 साल पहले यह वैक्सीन ली है उन्हें डरने की कोई ज़रुरत नहीं है क्यूंकि वैक्सीन से होने वाली किसी भी बिमारी का असर केवल 1 से 6 हफ़्तों में ही दिखने लगता है।
खास बात यह है कि इस वैक्सीन का इस्तेमाल अब ब्रिटेन में नहीं हो रहा है। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार में आने के कुछ महीनों बाद वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन के खतरे को भांप लिया था। इसके बाद यह सुझाव दिया गया था कि 40 साल से कम उम्र के लोगों को दूसरी किसी वैक्सीन का भी डोज दिया जाए।
आपको बता दें कि कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन की मदद से दुनियाभर में 60 लाख लोगों की जिंदगियां बचाई गई हैं। और वैक्सीन नहीं लें तो भी TTS होने का खतरा तो है ही।
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