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Saturday, November 23   2:28:20

क्या आपको भी मैटरनिटी लीव के बाद ऑफिस जाने में गिल्ट हो रहा है? ध्यान रखें ये बातें

मैं एक नौ महीने की बच्ची की मां हूं मैने मैटरनिटी लीव के बाद हालही में जॉब स्टार्ट किया है। जैसे ही दिन का सूरज उगता है हर दिन मेरे लिए एक चैलेंज सा हो जाता है। हर एक लम्हां मुझे यही डर सताता है कि आज का दिन कैसा होगा। एक ओर बच्ची की चिंता तो दूसरी ओर अपने जॉब की दोनों की टेंशन कम होने का नाम नहीं लेती की समाज ऊपर से कूंद पड़ता है। कोई कहता है बच्ची छोटी है ध्यान दो तो कोई कहता है कैसी मां है अपनी छोटी सी बच्ची को छोड़कर दिन भर के लिए चली जाती है। इन सब से ऊपर उठ कर एक दिन अच्छा बनाना कितना मुश्किल होता है वो उस मां को ही पता होता है जो ऐसा कर रही है।

ऐसी बात नहीं की घर वाले साथ नहीं देते पर जब कभी-कभी वे भी ऐसी बाते करते हैं तो लगता है कि दिल पर किसी ने पत्थर रख दिया हो। खैर ये तो है मेरी कहानी पर मेरी जैसी और भी महिलाएं है जो इस गिल्ट के साथ अपने जीवन का वक्त बिता रही हैं। आज मैं उनके लिए कुछ छोटे-छोटे उपाय लेकर आई हूं जिसे पढ़कर आप अपना दिल हल्का कर सकती हैं।

खुद को न माने दोषी: बच्चे के जन्म के बाद काम पर लौटना शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से बहुत कठिन होता है। कई महिलाएं अपने बच्चे को छोड़कर काम पर लौटने को लेकर गिल्ट में रहती हैं। ऐसी भावनाएं होना सामान्य है, लेकिन यह भी पहचानना जरूरी है कि आपके लिए आपका करियर भी आवश्यक है। इस स्थिति में ऐसा संतुलन खोजने का प्रयास करें जो आपके और आपके परिवार के लिए कारगर हो।

काम और बच्चे की देखभाल में बेलेंस: यदि आप अपने परिवार के साथ रहती हैं तो ज्यादा चिंता की बात नहीं है। यदि आप अकेले रहती हैं तो आपको विश्वसनीय और भरोसेमंद व्यक्ति को ढूंढना जरूरी है, जो बच्चे की देखभाल कर सके। आप कई विकल्प ढूंढ सकती हैं जैसे कि डेकेयर सेंटर, क्रैच सर्विंस, नेनी जो आपके काम पर होने पर आपके बच्चे की देखभाल में मदद कर सकते हैं। अपने शेड्यूल को व्यवस्थित करें और यदि सही लगे तो इस बारे में अपने साथी के साथ शेयर करें। उनकी भी सहमति आपके लिए जरूरी है।

मैनेज टाइम और एनर्जी: काम पर वापस जाना शारीरिक और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर नए माता-पिता होने की जिम्मेदारियों के साथ। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप अपने समय का सही ढंग से उपयोग कर रहे हैं? काम और घर दोनों को प्रेयोरिटी दे। जब भी संभव हो अपना डेलीरुटीन बनाए और समय मिलते ही उस काम को कर लें।

ब्रेस्टफीडिंग और पम्पिंग: यदि आप स्तनपान कराना चुनते हैं, तो कार्यस्थल पर ब्रेस्ट पम्प करने की व्यवस्था के बारे में अपने बॉस से बात करें। उनके पास नर्सिंग मदर्स की मदद के लिए कोई स्थान हो सकता है। इस परिवर्तन को आसान बनाने के लिए समय से पहले अपनी आवश्यकताओं की योजना बनाएं और बातचीत करें।

अपने सपोर्ट की तलाश: ऐसी कामकाजी महिलाओं से जुड़ें जो इस परिस्थिती से गुजर चुकी है। ऐसी महिलाएं आपकी बहुत मदद कर सकती हैं। इसके लिए आप ऑनलाइन किसी कम्यूनिटी से जुड़ सकती हैं। या अपने आस-पास वाली महिलाओं की भी मदद ले सकती हैं। अपनी प्रॉब्लम को शेयर करने से आपको काफी राहत मिलती है। इससे आपका अकेलान दूर होगा।

सेल्फ केयर: कहते हैं मां बनना एक लड़की का दूसरा जन्म होता है। ऐसे में अपनी जिंदगी के इस नए पड़ाव में अपने आप का ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है। इसके लिए आप ब्रेक लें, हर वीकेंड घूमने जाने का प्लान बनाए। आप स्ट्रेस फ्री होने के लिए मेडीटेशन या योगा भी कर सकती हैं। या ऐसी एक्टिविटी करें जो आपको पसंद हो, जिसे करने से आपको अंदर से खुशी महसूस होती हो। याद रखें कि अपना ख्याल रखने से आपके बच्चे की देखभाल करने और काम में अच्छा प्रदर्शन करने की आपकी क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

हर महिला का अनुभव अनोखा होता है और आपको वही करना चाहिए जो आपके और आपके परिवार के लिए सही लगे। यदि आपको और भी सपोर्ट या जानकारी की आवश्यकता है, तो अपने कार्यस्थल पर मानव संसाधन से परामर्श करने या पेशेवर सहायता लेने में संकोच न करें।