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Friday, April 18   2:41:39
angarika

भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना का पर्व है अंगारकी चतुर्थी

मंगलवार और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के सुभग समन्वय के साथ आज श्री जी की पूजा अर्चना का महत्वपूर्ण पर्व अंगारकी चौथ का दिन है।आज के दिन लोग उपवास करते है।रात को चन्द्र दर्शन, व पूजन कर व्रत पूर्ण किया जाता है।यदि मॉनसून की वजह से चन्द्र दर्शन नहीं हो पाता तो अक्षत से चन्द्र बनकर पूजा करने का प्रावधान भी है।आज गणपति अथर्वशीर्ष और संकष्ट नाशन गणेशस्तोत्र फिल्म इमरजेंसी का पठन लाभकारी होता है।कई लोग आज गणेश यज्ञ भी करवाते है।गणपति को मोदक का भोग अर्पित किया जाता है। यूं तो अंगारकी संकष्टी चतुर्थी वर्ष में दो बार आती है, लेकिन इस वर्ष यह चतुर्थी तीन बार है। 1 जनवरी को पहली चतुर्थी थी, आज दूसरी है, और 22 अक्टूबर के रोज तीसरी अंगारकी संकष्टी चतुर्थी होगी।

पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि भारद्वाज श्री जी के प्रखर उपासक थे।उनके पुत्र अंगार ऋषि भी पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए पिता से भी प्रखर गणेश भक्त हुए।उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर श्री गणेश ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा।अंगार ऋषि चूंकि किसी इच्छा से प्रेरित होकर भक्ति नहीं कर रहे थे, अतः उन्होंने कहा कि मैं बस हाथ जोड़ना चाहता हूं।उनकी इस बात से गणेश जी मंद मुस्कुराते रहे।और गणेश चतुर्थी को अंगार ऋषि के नाम पर अंगारकी चतुर्थी का नाम दिया।

आज के गणपति का पूजन, अर्चन पूर्ण फलदाई कहा गया है।