वेटिकन से उठते सफेद धुएं से दुनिया को यह संदेश मिलता है कि नया पोप चुन लिया गया है। पर आज हम उस युग का अंत देख रहे हैं, जो इसी धुएं से शुरू हुआ था। पोप फ्रांसिस, जिनका जीवन ईश्वर और मानवता की सेवा में समर्पित था, अब हमारे बीच नहीं हैं।
21 अप्रैल 2025 की सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर वेटिकन सिटी के कैमरलेंगो कार्डिनल केविन फैरेल ने यह दुखद घोषणा की कि रोम के बिशप फ्रांसिस “फादर के घर लौट गए हैं।” ये शब्द सिर्फ एक आधिकारिक ऐलान नहीं थे, बल्कि एक युग की समाप्ति का संकेत थे।
पोप फ्रांसिस का निधन कैसे हुआ?
पोप फ्रांसिस को फरवरी में ब्रॉन्काइटिस के चलते जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पूर्व में हुए फेफड़ों के ऑपरेशन के कारण सर्दियों में संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता था। इस बार बीमारी ने गंभीर रूप ले लिया — बाइलेट्रल निमोनिया और फिर सेप्सिस। 38 दिनों के इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी मिली, लेकिन संक्रमण ने शरीर को इतना कमजोर कर दिया कि वह अंतिम सप्ताह में फिर से बिगड़ने लगे। अंततः 21 अप्रैल की सुबह उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
क्या होता है जब पोप का निधन होता है?
कैथोलिक परंपरा के अनुसार, वेटिकन का सबसे वरिष्ठ कार्डिनल यानी कैमरलेंगो सबसे पहले पोप के निधन की पुष्टि करता है। वह निजी चैपल में जाकर पोप के पार्थिव शरीर को देखकर तीन बार उनका नाम पुकारते हैं। जब कोई उत्तर नहीं आता, तो अंगूठी तोड़ दी जाती है — जो पोप की सत्ता का प्रतीक होती है। इसके बाद वेटिकन चैपल सील कर दिया जाता है और कार्डिनल कॉलेज को जानकारी दी जाती है।
पोप के शरीर के साथ क्या होता है?
मृत्यु के बाद ‘नोवेन्डिएल’ नामक नौ दिन का शोक मनाया जाता है। इस दौरान पोप को पारंपरिक पोशाक में सेंट पीटर बेसिलिका में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाता है। ऐतिहासिक रूप से पोप के शरीर से अंग निकालने की परंपरा रही है, खासकर उनका दिल। ट्रेवी फाउंटेन के पास एक चर्च में आज भी बीस से ज्यादा पोपों के दिल संगमरमर के कलशों में सुरक्षित हैं। लेकिन पोप फ्रांसिस ने इस प्रथा को अस्वीकार किया था।
उन्होंने स्पष्ट किया था कि वे एक सादे लकड़ी के ताबूत में दफन होना चाहते हैं और उनकी इच्छा थी कि उनका अंतिम विश्राम स्थल रोम का सेंट मैरी मेजर बेसिलिका हो, न कि पारंपरिक वेटिकन ग्रोटोज।
पोप का पद क्या है और इसकी ताकत कितनी है?
रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु होने के नाते पोप पूरी दुनिया के करोड़ों ईसाइयों के आध्यात्मिक मार्गदर्शक होते हैं। उनका असर सिर्फ धर्म तक सीमित नहीं होता — वे वैश्विक राजनीति, मानवाधिकार, जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी प्रभाव डालते हैं। पोप फ्रांसिस ने पादरी जीवन की सादगी, करुणा और सेवा को अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बनाया।
पोप कैसे चुने जाते हैं और अगला पोप कौन हो सकता है?
जब पोप का निधन होता है या वे पद छोड़ते हैं, तब कार्डिनल्स कॉलेज बंद दरवाजों के अंदर गोपनीय वोटिंग करता है — जिसे ‘कॉन्क्लेव’ कहा जाता है। जब नया पोप चुन लिया जाता है, तब सिस्टीन चैपल से सफेद धुआं निकलता है। फिर बालकनी से घोषणा होती है — “हैबेमस पापम” (हमारे पास एक पोप है)। नया पोप एक नया नाम चुनता है।
इस बार भी कयासों का बाजार गर्म है। पाँच कार्डिनल्स के नाम सबसे आगे बताए जा रहे हैं, जिनमें अफ्रीकी और एशियाई देशों के धर्मगुरु भी शामिल हैं।
पोप फ्रांसिस का जीवन इस बात का जीवंत उदाहरण है कि धर्म सिर्फ कर्मकांड नहीं, बल्कि करुणा, समर्पण और सरलता है। उन्होंने अपने पद के रुतबे से ज्यादा उसकी ज़िम्मेदारी को महत्व दिया। आज जब धर्म के नाम पर दुनिया में नफरत फैल रही है, फ्रांसिस जैसे नेता हमें सिखाते हैं कि सबसे बड़ी ताकत विनम्रता और प्रेम में है।
उनकी इच्छा थी कि उन्हें साधारण पादरी की तरह विदा दी जाए। यह दर्शाता है कि वे पद से नहीं, सेवा से महान थे। उनका जाना सिर्फ कैथोलिक समुदाय के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक क्षति है।
पोप फ्रांसिस के साथ एक युग समाप्त हुआ है, पर उनकी सादगी और सेवा की विरासत आने वाली सदियों तक जीवित रहेगी।

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