पंजाब के कवि ,लेखक पद्मश्री सुरजीत पातर को उनकी उपलब्धियों को लेकर अमूल ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
अमूल एक ऐसी डेयरी फार्म है, जो शुरू से ही सामायिक,सामाजिक,ऐतिहासिक,राजनीतिक मुद्दों को लेकर प्रचार करती रही है।इनमे श्रेष्ठ लोगो की उपलब्धियों को भी विशेष स्थान दिया जाता है।हाल ही में 11 मई 2024 को पद्मश्री सुरजीत पातर के निधन के बाद ” उनके कलाम में कमाल था” के शीर्षक के साथ श्रद्धांजलि देकर लोगो को उनसे परिचित करवाया है। पद्मश्री सुरजीत पातर का नाम पंजाबी साहित्य में बड़े ही सम्मान से लिया जाता है।
जालंधर जिले के पातर कला गांव में पिता हरभजन सिंह और माता हरभजन कौर के घर 14 जनवरी 1945 के रोज़ उनका जन्म हुआ। कपूरथला की रणधीर कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने “गुरु नानक वाणी में लोक कथाओं के परिवर्तन” विषय पर पीएचडी की। पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर कार्यरत रहे। लगभग 1960 के दशक में उन्होंने कविताएं लिखने की शुरुआत की। उनकी लोकप्रिय कविताओं में हवा विच लिखे हर्फ, पतझर दी पाजेब, सुर ज़मीन,बिरख अरज करे, लफ्जा दी दरगाह,हनेरे विच सुलगदी वर्णमाला,आदि कविताओं का उल्लेख मिलता है। पंजाबी साहित्य अकादमी, गंगाधर राष्ट्रीय पुरस्कार आदि अनेकों पुरस्कारों के साथ उन्हें साहित्य और शिक्षा क्षेत्र में भारत देश की सम्मानित पद्मश्री की उपाधि से भी नवाजा गया।
सुरजीत पातर पंजाब कला परिषद चंडीगढ़,और पंजाबी साहित्य अकादमी लुधियाना के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने गिरीश कर्नाड फेडेरीको गार्सिया लोर्का,पाब्लो नेरुदा जैसे विदेशी कवियों की कविताओं का पंजाबी में अनुवाद भी किया ।इसी के साथ उन्होंने शेख फरीद बटालवी से लेकर शिवकुमार बटालवी तक के कवियों पर टीवी स्क्रिप्ट, शहीद उधम सिंह, विदेश, दीपा मेहता की हेवन ओन अर्थ के पंजाबी संवाद भी लिखे।
11 मई 2024 को उनके निधन पर अमूल द्वारा उन्हें विशेष श्रद्धांजलि दिए जाने के चलते आज देश के लोगों ने सुरजीत पातर जैसे कवि का परिचय पाया है।
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