अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए अमेरिकी प्रशासन ने 205 भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट कर दिया। सोमवार को अमेरिकी वायुसेना का C-17 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट इन अप्रवासियों को लेकर भारत के लिए रवाना हुआ। यह कदम अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ चलाए जा रहे व्यापक अभियान का हिस्सा है, जिसमें लाखों अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें उनके मूल देशों में भेजा जा रहा है।
अमेरिका में अवैध अप्रवासियों पर बढ़ी कार्रवाई
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सत्ता में आने के बाद ही अवैध अप्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई तेज करने का ऐलान किया था। उनकी सरकार के इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट (ICE) विभाग ने करीब 15 लाख अवैध अप्रवासियों की लिस्ट तैयार की, जिसमें 18,000 भारतीय भी शामिल हैं। ट्रम्प प्रशासन के पहले 11 दिनों में ही 1,700 भारतीयों को हिरासत में लिया गया था, जबकि पूरे अमेरिका में 25,000 से अधिक अवैध अप्रवासियों को पकड़ा गया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ज्यादातर कार्रवाई रिपब्लिकन-शासित राज्यों में हुई, जहां अवैध अप्रवासियों पर सख्ती ज्यादा देखी जा रही है। इस दौरान मेक्सिको बॉर्डर से होने वाली घुसपैठ में 94% की गिरावट आई है। आंकड़ों के अनुसार, ट्रम्प के सत्ता संभालने से पहले रोजाना 2087 लोग अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश कर रहे थे, जबकि ट्रम्प के सत्ता में आने के बाद यह संख्या 126 तक आ गई।
भारत ने दी सहमति, लेकिन सवाल भी उठते हैं
भारत सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे भारतीय नागरिकों को वापस लेने के लिए वह हमेशा तैयार है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि भारत यह जांच कर रहा है कि अमेरिका में कितने भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैं और किन्हें वापस भेजा जा सकता है। हालांकि, अभी तक इस तरह के लोगों की सटीक संख्या का पता नहीं लगाया जा सका है।
क्या अवैध अप्रवासन समाधान है?
अवैध अप्रवास एक गंभीर समस्या है, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में लोग अवैध रूप से विदेश जाने को मजबूर क्यों होते हैं? क्या हमारे देश में रोजगार और अवसरों की कमी उन्हें यह जोखिम उठाने पर मजबूर कर रही है?
अमेरिका में 7.25 लाख से अधिक भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैं, जो दुनिया में तीसरे स्थान पर हैं। यह आंकड़ा चिंता पैदा करता है कि क्यों भारतीय नागरिक अपनी जान जोखिम में डालकर, कानून तोड़कर विदेशों में रहना पसंद कर रहे हैं।
सरकारों को सिर्फ डिपोर्टेशन की नीति अपनाने के बजाय यह समझने की जरूरत है कि यदि लोगों को अपने देश में बेहतर अवसर मिलें, तो वे क्यों विदेश भागेंगे? जब तक इस मूल समस्या का समाधान नहीं किया जाएगा, तब तक अवैध प्रवासियों की संख्या कम नहीं होगी और यह संकट बार-बार सामने आता रहेगा।
अमेरिका की यह कार्रवाई कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। हमें इस पर आत्ममंथन करना होगा कि क्यों हमारे युवा अवैध रूप से विदेशों में बसने का सपना देख रहे हैं। क्या हम अपने देश में ऐसे अवसर पैदा कर सकते हैं कि कोई भी भारतीय विदेश जाकर अपनी पहचान छिपाने के लिए मजबूर न हो?
अगर मूल समस्या का हल नहीं निकला, तो क्या गारंटी है कि अगले कुछ वर्षों में यही खबर दोबारा न छपे?
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